Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

Previous | Next

Page 465
________________ १६६ १८२ ४७ ( ५२ ) शब्द अर्थ ' पृष्ठाङ्क शब्द अर्थ पृष्ठाक बेसायाई ३८४ मप्प भस्म ७६ बेसहस्साई ३८४ भम् (धा०) बोक्कड २६३ भमर भौंरा ४१, ५०, ५२, २०६ बोधि (वै० =तू जान १२२ भाम् (धा०) बोर=बेर का फल वा वृक्ष भय बोल्ल १४६ भएय (क्रि०) वह आह्वान बोहि-तू जान १२२ करता है बोह (धा०) भयस्सई-बृहस्पति भरय-भरत राजा भरह= ॥ भइणी बहिन-भगिनी भवर (अप०)=भौंरा भुंज् (धा०) भविअ भव्य भक्ख् (धा०) १८३ भव्व भव्य भगवईभगवती ३५, ३८ भव्वं ३७१ भगवती , ३५, ३८ भसल (प्रा० तथा सं०)=भौंरा ५०, ५२ भग्नी (सं० =बहिन १३२ भस्टिणी (मा०) भट्टिनी भज्जा=भार्या-स्त्री ६६, ७४, ३७१ भस्स-भस्म ७६ भज्ज (धा०) भा (धा०) २६० भट्टारिया भट्टारिका भाउ=भाई भैया भट्टिणी , भागिनी स्त्री भड-सुभट-योद्धा ३६, १८६ भाण-भाजन-भाँडा ५५, १८२ भणिअ कहा हुआ-पढ़ा हुआ १७ भाण=आह्वान ૭૨ भाणु २४० भण् (धा०) १८६, २२६ भामिणी-स्त्री भद्द भद्र-अच्छा ६१ भायण=भाजन, बरतन ५५, १८२ भन्द्र (सं०)= " १३३ भार २७० ७० २८ भणिता%3 " १७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508