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पांक
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( २६ ) शब्द अर्थ पृष्ठांक शब्द अर्थ जेह ( अप० ) जैसा
टसर एक प्रकार का सूत ४६ जोअ-द्योत-प्रकाश ६६ टूवर दाढी-मूंछ न हो वैसा ४६ जोइअ जोइसिस
२५६ जोगि
२६७ जोण्हा ज्योत्स्ना-चंद्र की चंद्रिका ६६
ठंभ-स्तंभ-थंभा
७७ जोत् (धा० ) प्रकाश करना १५४
ठंभह ( क्रि०) वह स्तब्ध होता जोव्वण-यौवन-जवानी २८१
है-गति रहित है ७७. ठंभिजइ ( क्रि० ) = गति रहित
होना ७७
ठं ( धा०) गति न करनाझज्झर-झन्झर-घड़ा, झंझर झडिल-जटावाला
खड़ा रहना ७७ झलरी ( सं० ) झालर १३२ ठक्का (चू० पै०)-ढक्का-डंका--- झसोदर मछली के समान चम
नगाड़ा ७७, ७८ . कीले पेटवाला १०१ ठड्ड-ठाढ़ा-खड़ा
२६४ झा (धा०) १५० ठद्ध-ठाढा-खड़ा
५८, ७० झाण ध्यान ६७ ठा (धा०)
१५० झाम् (धा०)
३२४ ठीण जमा हुआ घी २०, ७७. झायइ ( क्रि०) ध्यान करता है ६७ झिजइ (कि० )-क्षय पाता है ६७ झीण क्षीण-क्षय पाया हुआ ६७ ।। डंड-दंड-डंडा ४८, ११८ झुणि ध्वनि-शब्द १८, २८० डंभ दंभ-कपट ४८, ११८
डंस ( धा० ) डसना डक्क-इंसा हुआ
७५ टगर तगर का सुगंधी काष्ठ ४६ । टमरुक (चू० पै.)= ड, ३८ ड डसा हुआ
डज्झमाण
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