Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 440
________________ शब्द पृष्ठांक जन्तु २४० जन्न-यज्ञ ४१, ३७० जम-यम-नरक में दंड देने वाला यम अर्थ जमन' (सं०) जम्पति= दंपती जम्भा ( घा० ) जम्म=जन्म जम्मू ( घा० ) जया ज्यू जर जल = जड़ जवा=जपा का फूल - अड़हुल का फूल ( २७ ) शब्द जहि = जहाँ - निधर ४१ १३० १२८ .३२६ ७२, २०६ १६७ ३५६ १८६ २५५ १२८, १८७ १२६ जवू ( धा० ) १४६ मह - यथा - जैसा २०, ४१, १२०, २०२ ✩ जहा = जैसा २०, ४१, ४२, ६६, १२०, १८२, २०२ २२ २२, २४, ५२ जहिद्विल= युधिष्ठिर जहुट्ठिल= जहा मिसि - यथा + ऋषि ऋषियों की 33 योग्यतानुसार जहासत्ति= यथाशक्ति-शक्ति के अनुसार जहासुतं = जैसा सुना वैसा Jain Education International ६८ पृष्ठांक १९३, २६४ जा=जब तक ५५, १५०, २४४ जाह ( क्रि० ) = जाता है ४१, ४२ जाइअंध = जन्म से अंधा ६ ३ जागर ( घा० ) १८३, २४४ जाणू ( वा० ) ४२, ६०, २०२, २६६ जाणइ ( क्रि० ) = वह जानता है ३० जाणय जाणु जात=जाना हुआ जातव्व = जानने योग्य जाति= ज्ञाति जातु=राक्षस जातुधान=,, जानि= यानि - जो जो वस्तु जामाउअ जाय जायते य अर्थ जाय् (धा० जारिस = जैसा २१० जायेस=जाया+ईस=जायेस - पति ६६. ) २४४ जावू जिइंदिय जाव= जब तक जावणा-ज्ञापना - विदित करना १०१ १८६ For Private & Personal Use Only २०६ २४१ ६० ६० ६० १३० १३० १३० ३२६. १८३ ८५. ५५, ११३, २४४ ६१ ३२४ २१३ www.jainelibrary.org

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