Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 441
________________ २४ ११४ ८७ ( २८ ) शब्द अर्थ पृष्ठांक शब्द अर्थ पृष्टांक जिण १७५ जुगुच्छइ ( क्रि०)-जुगुप्सा करता जिण ( घा०) १५८ है-घृणा करता है ६५ जिण्ण जीर्ण-जीर्ण हुआ जुगुच्छा-जुगुप्सा-घृणा ६५ जिण्हु जितने का स्वभाव वाला ६६ जुग्गजोड़ी ५८, ७२, १८७, २६६ जिब्मा जीभ ७२, ११५, ३१४ झुंज (धा०) २५८ जिम ( अप०) जैसा ४१ जुज्म २११ जिव ( अप )= , ४१ जुज्झ ( धा०) १५६ जिवइ ( क्रि०)जीता है-जीवन जुण्ण जीर्ण-जुना-पुराना धारण करता है २४ जुति-द्युति-प्रकाश जीअ जीवित-जीवन ५५ जुत्तं इणं-युक्त यह जीआ-ज्या-धनुष की डोरी ८७ जुत्तति-जुत्तं इति=युक्त इस प्रकार ६६ जीमूअ मेघ - ३५, ३६ जुत्तं णिमं ( शौ० ) युक्त यह ८७ जीव २०० ३१५ जीवइ ( क्रि० )-जीता है-जीवन २१० धारण करता है २४ जुन्न २०१ जीवण २५७ जुम्म जोड़ी .७२, १८७, २६६ जीनाजीव-जीव और अजीव १०२ जुर् ( धा०) २१३ जीवाउ जुवई ३१५ जीविअ जीवन ५५ जुब्बण यौवन-जवानी ८१ जीह (धा०) ३२५ जुवणमप्फुण्ण-यौवनम् आपूर्ण जीहाजीभ २२, ७२, ३१४ ___ भरा हुआ यौवन ६६ जुइ-द्युति ६५ २८० जुउच्छ ( घा०) १५० जेमे-जे+इमे-ये इमे जो ये ६५ जुग-जुआ-धुंसरी-धुरी १८८ जेम् (धा०) १४० जुगु (घा०) २२८ जेय-ज्ञेय-जानने योग्य जुत्ति २५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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