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( २६० ) सुगन्धित वस्तुएँ बेचनेवाला सुगन्धित वस्तुओं की प्रशंसा करेगा। मोची मेरे लिए जूता सीयेगा । कुशल तैराक अपने दोनों हाथों से तालाब को तैरेगा ( पार करेगा )। कम्बल बेचनेवाले के शरीर के ऊपर कम्बल और लोई शोभेगी। ग्रीष्म के दिनों में आम के पेड़ पर कोयल कुहकह करेगी। गुरु विद्यार्थियों को उनका पाठ समझायेंगे। तेलो तिलों को पेरेंगे और तेल बेचेंगे। सुनार सोना और चाँदी के आभूषण गढ़ेगा और उनको साफ करेगा। लुहार लोहे को गढ़ेगा। नमि विद्यार्थियों और ऋषियों को मुद्ग ( मूंगी) देगा। साड़ियाँ बेचनेवाला पटोलां, मलीर और घरचोला वेचेगा। धर्म मेरे दुःखी जीवन का औषध बनेगा। मैं चन्द्रमा को पर्वत के शिखर पर से देखूगा । बन्दर आम के वृक्ष पर कूदेंगे। ग्रीष्म में सूर्य का तेज प्रचण्ड होगा। तमौली पान बेचेगा और हम खायेंगे। . आचार्य विद्यार्थियों के बीच शोभा पायेगा। यह आम का वृक्ष शीतकाल में फलेगा। तुम दोनों दयालु और कृतज्ञ होगे । ऋषि कमण्डलु से शोभते हैं। जो अपने भोगों को त्याग देंगे, लोग उनको त्यागी कहेंगे । सुनार मेरे आभूषणों पर पालिश करेगा। कितनी ही वनस्पतियाँ ग्रीष्म में फलेंगी उनको तू खायेगा। किसान खेत को बारंबार खोदेगा (जोतेगा या कोड़ेगा )। अब मैं पान खाऊँगा, वह अपना पाठ समझेगा और तुम पानी पीओगे।
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