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प्रत्यय
१
'अ, ए ( अ ) आव, आवे ( आपय ) ।
मूल धातु में 'अ', 'ए', 'आव' और 'आवे' प्रत्यय लगाने से प्रेरक अंग बनता है । जैसे
उन्नीसवाँ पाठ
प्रेरक प्रत्यय के भेद
पालिभाषा में प्राकृत के समान प्रेरक प्रत्यय लगाते हैं, विशेषता यह है कि 'आव' के स्थान में 'आप' तथा 'आवे' के स्थान में 'आपे प्रयय लगते हैं ।
पालि रूप
एकवचन
प्र०पु० कारेमि
म०पु० कारेसि
तृ०पु० कारेति
प्र०पु० कारयामि
म०पु० कारयसि
तृ०पु० कारयति
प्र०पु० कारापेमि
म०पु० कारापेसि
तृ०पु० कारापेति
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अथवा
अथवा
बहुवचन
कारेम
कारेथ
कारेंति
कारयाम
कारयथ
कारयन्ति
कारापेम
कारापेथ
कारापैंति
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