Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 424
________________ र ( ११ ) शब्द अर्थ पृष्ठांक शब्द अर्थ पृष्ठांक उवज्झाय-उपाध्याय ६७, ८३, १७५ उन्बूढ , २६ उवछिअउपस्थित-हाजिर ७१ उश्चलदि (मा० क्रि०)-उछलता है ६५ उवणिअ=उपनीत-समीप में लाया उसमबेल अथवा ऋषभदेव ११८ हुआ २४ उसभमजिअं ऋषभ और अजित उवणी (धा०) २६६ नाम के तीर्थकर ६७ उवणीअ समीप में लाया हुआ २४ उस ऋषभदेव अथवा बैल उवदंस् (धा०) २६६३२३ उस्मा (मा०) उष्मा-गरमो ६३ उपदिस (धा०) २२६ उस्साह (पालि)-उत्साह उवमा उपमा-तुलना ४० उवरिं ऊपर २४, २१२, २७० उपरि ८७, २७०, ३६२ ऊज्झाय-उपाध्याय उवरिल्ल ऊज्झायो उवलभामहं उपलभे अहम्-मैं ऊरु-जंघा-जांघ २५४ पाता हूँ १५ ऊर्ध (सं०) १३२ उवसग्ग-उपसर्ग-क्रियापद के ऊसव सहायक शब्द ४०, १६२ ऊसार वेग से जलवृष्ठि उवस्तिद (मा०) उपस्थित-हाजिर ७१ ऋ उवह उभय-दोनों ८३ ऋफिल (सं०) विशेष संज्ञा १३० उवास् (धा०) २६० उवासग-उपासक-श्रावक, उपासना - करने वाला ४४, २४२ एअं २७० उवाहि २४०, २६७ एअ-एक ८१, १६६, ३७६ उबिग्ग=उद्देग युक्त ५६,६० एआरस-एकादश-ग्यारह ५४, ३८० उविण्ण-उद्वेग युक्त ६० एआरह , ४८, ५४, ३८० उच्चीद-धारण किया हुआ एक-एक ८१, १६६, ३७६ पहना हुआ २६ एकचत्तालिसा ३५७ १६५. -- 7 1. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |

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