Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 417
________________ शब्द अस्थिअ अर्थ अत्थु अदुव अदुवा अद्द= आई- गिला अद्ध=आधा अद्धा अद्भुट्ठ अधि अधिगच्छइ ( क्रि०) अधीर अनवज अनागम अनु अनुजाणा (घा० ) अन्तग्गय = अन्तर्गत- अंदर आया हुआ अन्तिका= अत्तिका -बड़ी बहिन अन्न अन्नन्न= अन्योन्य- परस्पर अन्नमन्न ३५६, ३५७ ३६२ ( नाटक ) अन्ते उर = अन्तःपुर - राजस्त्रियों रानियों का निवास अन्तोवरि= अंदर और ऊपर अन्देउर (शौ० ) = अन्तःपुर 39 Jain Education International > पृष्ठांक शब्द अन्नयर ७८,२८२ ३६२ २८२ १६४ १६४ २०१ २१२ ३६२ ३६२ ५८ २६८ १६२ २६६ ३२ १३३ ६८ ३३ ६८ १६८ ३० ह८ अर्थ अन्नाइस=अन्य जैसा अन्नारिस अन्नुन्न=अन्योन्य अप अपरोप्पर परस्पर अपसरइ ( क्रि०) अपि अपिइ ( क्रि० ) अप्प 33 अप्पज्ज= आत्मज्ञ अथवा अल्पज्ञ अप्पणिय अप्पण्णु = आत्मज्ञ अथवाअ ल्पज्ञ अप्पा = आत्मा - आपा- आप अप्पाण= आत्मा - अपन लोग अप्पाणो = आत्माएँ - 3 अप्पिअ=अर्पित अप्पेइ ( क्रि० ) = अर्पण करता है अप्पेव अग्भाण=आह्वान अब्भुत (घा० ) अन्भे ( क्रि०) अभयप्पयाण अभि For Private & Personal Use Only पृष्ठांक १६६ ८४ ८४ ३० १६२ १६५ १६५ २०२, २५६, २६२ ६.१ בל - अपन लोग १६२ १८७ ७६ १६ १६. ३६२. अब्बा - अंबा - माता १३२ अब्भयते (क्रि०)=आह्वान करता है ७२ ७२ २४३ ६१ ७६ ३२४ २६८. २११ १६३ www.jainelibrary.org

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