Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas
________________
शब्द
अग्गे
..
अर्थ
अग्य
अचेलय
अच्च् (वा० )
अच्चि=आँच
अबे (धा० )
अच्छ (वै०)=आँख अथवा इंद्रिय ११६
८२
अच्छअर= आश्चर्य अच्छायर (पालि )
८२
अच्छरसा
अच्छरसा= अप्सरा
अच्छरा=अप्सरा |अच्छरिअ=आश्चर्य
अच्छरिज्ज
अच्छरियं अच्छारिय अछचरीभ
अच्छिं-आंख
""
33
"
""
""
""
Jain Education International
( २ )
पृष्ठांक
३६२
३२४
२५८
१६६, २२६
२८०
२८३
$3
अच्छ अच्छी अच्छे ( क्रिया० ) अच्छेर = आश्चर्य
अजिण
अजीव = अजीव-जीव नहीं अज्ज=आज
३०३
३१४
६५
८२
८२
६३
८२, ११७
८२
८६, ६१
६४, ११६, २४१
८६, ६१
२६८
६५, ८०, २२७
१८२
शब्द
अर्थ अज्जउत्त= आर्यपुत्र
अज्जतण
अज्जतो आज से -आज कल
अज्जयण
अज्जा-आज्ञा
अज्जू =आर्या-सास-श्वश्रू २१, ३१७
अज्जो
३७१
अज्झत्थं
२१२ ७६
२१२
७६
हद
६६
अज्झत्थ= अध्यात्म
अज्झष्पं
अज्झप्प= अध्यात्म
अञ्जण= अंजन
अञ्जलि= अंजलि
अट्ट (सं० ) = हट्ट - हाट-दुकान
अह = प्रयोजन
अट्ठ-आठ
अट्टचत्तालिसा
अट्ठणवद्द
अहतीसा
अपण्णासा
अहम
अट्ठवीसा
अत्तरि
अट्ठारस
૨૪ ६६, १७५ अट्ठारह
पृष्ठांक
६६
२२८
६२
२२८
६१
For Private & Personal Use Only
१३५
७७
३७६
३८१
३८४
३८१
३८२
२८२
३८१
६८३
३८०
३८०
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508