Book Title: Prakritmargopadeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Motilal Banarasidas

Previous | Next

Page 419
________________ अर्थ शब्द अवज= अवद्य - पाप अवड= कुँआ अवतरइ ( क्रि० ) अवत्थयं अवमन्न ( धा० ) अवर अवरण्ह = अपराह्न - दिन का पिछला 33 पृष्ठांक ६५,२१२,३७० भाग ७० अवराइस (अप० ) = दूसरे के जैसा ८४ अवरारिस= ८४ "" अवरिं= ऊपर २४,८७, २१२, २७०, ३६२ अवसरइ ( क्रि० ) १६२ २७१ अवसीअ ( धा० ) अवस्सं २२८, २८२, ३१२ अवह उभय-दो ८३ अवहंड=अवहृत ४७ अवहय= ४७ अवि १६५, २६८, ३२० अविहे ( क्रि० ) १६५ १०२ १३१ ३६२ २६२ असमण २०६ असहज्ज = असहाय्य - सहाय रहित २१ असहेज्ज= २१. अव्वईभाव अश्र ( सं० ) = अंश - कोना असई असंजम ") ( ६ ) Jain Education International ५५ १६२ १६२ २४४ १६६ अह अहत्ता शब्द असात असाय असीइ असुक=अमुक असुग " अस्तवदी ( मा० ) = अर्थपति धनवान् अर्थ अहम अहर अहव= अथवा अहवा= अहि अहिगमो अहिज = अभिज्ञ - कुशल अहिठ (वा० ) "" 29 39 : पष्ठांक २११ २११ ३८३ ४४ ૪૪ अहिणउलं= अहिनकुलम् - स्वाभाविक वैर का सूचक अहिष्ण= अभिश- कुशल अहिन्नव अहिनाण अहिमंजु= अभिमन्यु अहिमञ्जु = अहिमन्नु = अहिमुहं For Private & Personal Use Only २१३ १६६ २०, १२०, २८२ २०, १२०, २८२ १६३, १६४ १६४ ६१ २८३ ७१ २५८ ३६२ १०१ ६१ २६४ ३२७ ७६ ७६ ५०, ६६, ७६ १६३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508