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( ३६५ )
हो + अ + तूण = होइतूण, होएतून हाइऊण, होऊन
हो + तूण = होतूण, होतूणं होऊण,
होऊणं
=
तुआण
हस् + तुआण = हसितुआण, हसेतुआ } ( हसित्वा) = हँसकर
=
}
9
कर् + इवि
कर् + अवि
कर + एप्पि
कर् + एपिणु कर् + एवि
= करेवि (,, )
कर + एविणु = करेविणु (,, )
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}
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( भूत्वा ) = होकर
करिवि (,, ) करवि (,, ) करेपि (,, ) करेप्पिणु (,, )
अपवाद
शौरसेनी में सिर्फ 'कृ' धातु का तथा 'गम्' धातु का सम्बन्धक भूतकृदन्त 'कडुअ' तथा 'गडुअ' होता है |
( भूत्वा ) = होकर
संस्कृत में जहां 'ष्ट्वा' होता है तो वहीं पैशाची में दून तथा त्थून प्रत्यय होता है । जैसे
नष्ट्वा पैशाची - नद्धून, नत्थून
तष्ट्वा
-
- तद्धून, तत्थून ।
अपभ्रंश में केवल 'गम्' धातु का सम्बन्धक भूतकृदन्त का रूप 'गम्पि' और 'गपिणु' भी होते हैं ।
१. हे० प्रा० व्या० ८ २ १४६ । २. हे० प्रा० व्या० ८ ११२७ ।
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