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छब्बीसवाँ पाठ
भूत कृदन्त - मूल धातु में 'त' अथवा 'अ' और शौरसेनी तथा मागधी में 'द' प्रत्यय लगाने पर भूत कृदन्त रूप बनते हैं। इन दोनों प्रत्ययों के परे रहने पर पूर्व के 'अ' को 'इ' होता है। जैसे
गम् +अ+त = गमितो
गम् + + अ = गमिग्रो (शौ०मा० गमिदो) (गतः) गया हुआ। भावे
गमितं गमिश्र, (गतम्) = गति, जाना। कर्मरिणगमितो गामो ) ।
। (गतः ग्रामः) = गया हुआ गाँव । प्रेरक
करावितो (शौ० मा० कराविदो) (कारापितः) = करवाया कारिनो (शौ० मा० कारिदो) (कारितः) " हुआ
अनियमित भूत कृदन्त गयं' (गतम्) = गया हुआ, जाना। मयं (मतम्) = माना हुआ, मानना, मत, अभिप्राय । कड (कृतम्) = किया हुआ, करना। हडं (हृतम्) = हरण किया हुआ, हरण करना।'
मडं (मृतम्) = मरा हुआ, मरना । १. हे० प्रा० व्या० ८।३।१५६ ।
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