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पच्चीसवाँ पाठ
संख्यावाचक शब्द जिन शब्दों द्वारा संख्या का बोध होता है वे संख्यावाचक शब्द कहे जाते हैं । ऐसे शब्द अकारान्त, प्राकारान्त , इकारान्त और उकारान्त भो होते हैं । विशेषण रूप होने से इन शब्दों का लिङ्ग निश्चित नहीं होता। इसलिए इन शब्दों के लिङ्ग, वचन और विभक्ति विशेष्य के अनुसार होते हैं। संख्यावाचक प्रकारान्त, इकारान्त, और उकारान्त नामों के रूप आगे बतायी गयी रीति के अनुसार समझ लें। तथा यह भी ध्यान रहे कि 'दु' शब्द से लेकर 'अट्ठारस' शब्द तक के सब शब्द के रूप बहुवचन में होते हैं । खास विशेषता इस प्रकार है:
'एक' से लेकर 'अट्ठारस' (अष्टादश) पर्यन्त संख्यावाचक शब्दों के षष्ठी के बहुवचन में 'एह'' और 'एहं' प्रत्यय क्रमशः लगते हैं :
एग + एह = एगण्ह, एग + एहं = एगण्हं । उभय + एह = उभयण्ह, उभय + एहं = उभयण्हं । ति+ राह = तिरह, ति + एहं - तिराहं । दु+ एह = दुण्ह,
दु+ रहं = दुरह। कति + एह-कतिण्ह, कति + एहं = कतिराहं ।
इक्क, एक्क, एग, एअ (एक) शब्दों के पुल्लिग रूप 'सव्व' की भाँति होते हैं। स्त्रीलिंग के रूप 'सव्वा' की भाँति और नपुंसकलिंग रूप नपुंसकलिङ्गी 'सव्व' की भाँति होते हैं । १. हे० प्रा० व्या० ।३।१२३ । पालि में 'नं' प्रत्यय लगता है देखिए
पा० प्र० १० १५५ ।
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