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( २९९ )
धातुएँ उव + णी ( उप+नी )--पास ले जाना । पच्च + प्पिण् ( प्रति + अर्पण प्रत्यर्पण)-वापिस देना, लोटाना,
अर्पण करना । पडि+नी, पडि + णी (प्रति + नी )-वापस देना, बदले में देना । वर् (वृ)-स्वीकार करना, वरदान लेना। वाव् ( वाप् )-बोना, वपन करवाना । तूर् ( त्वर )-जल्दी करना, त्वरा करना। सं+ दिस् ( सम् + दिश् )-संदेशा देना, सूचना करना। उव + दस् ( उप + दर्श)-दिखाना, पास जाकर बताना। अणु + जाण् , अनु + जाणा ( अनु + जाना)-अनुज्ञा देना, सम्मति
देना। सं+वड्ढ् (सम् + वध्)-संवर्धन करना, पोषण करना, सम्भालना। चिण (चिनु)-चुनना, इकठ्ठा करना।
क्रियातिपत्ति परस्पर सांकेतिक दो वाक्यों का जब एक संयुक्त वाक्य बना हो और दोनों क्रियाओं में कोई केवल सांकेतिक क्रिया जैसो अशक्य-सी प्रतीत होती
१. क्रियातिपत्ति को पालि में कालातिपत्ति कहते हैं। पालि में क्रियातिपत्ति के प्रत्यय इस प्रकार हैंपरस्मैपद
आत्मनेपद एकव० बहुव० एकव० बहुव० प्र०पु० स्सं स्सम्हा स्सं
स्साम्हसे म.पु० स्से
स्ससे तृ.पु. स्सा स्संसु स्सथ
स्सथ
स्सव्हे स्सिसु
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