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( ३०० ) हो तो वहाँ क्रियातिपत्ति का प्रयोग होता है। क्रियतिपत्ति याने क्रिया को अतिपत्ति-असंभवितता को ही सूचित करने के लिए क्रियातिपत्ति का उपयोग होता है।
प्रत्यय सर्वपुरुष ) न्तो, माणो, ज्ज, ज्जा। सर्ववचन ( देखिए हे० प्रा० व्या० ८।३।१७९ तथा १८०)।
पुल्लिंग उदाहरण एकवचन भण-भणंतो, भणमाणो हो-होअंतो, होअमाणो
होतो, होमाणो
बहुवचन भणंता, भणमाणा होता, होअमाणा
पालिमें 'अंभवि' तथा 'भवि' धातु के रूप :प्र०पु० अभविस्सं
अभविस्सम्हा, अभविस्सम्ह म०पु० अभविस्से, भविस्स अभविस्स, अभविस्सथ तृ०पु० अभविस्सा, अभविस्स अभविस्संसु, भविस्संसु
इसी प्रकार 'अभवि' अथवा 'भवि' धातु से आत्मनेपद के प्रत्ययों को लगाकर रूप बना लें।
शौरसेनी, मागधी तथा अपभ्रंश के रूप प्राकृत के समान होंगे। शौरसेनी में तथा मागधी वगैरह में :पुं० स्त्री०
नपुं० होन्दो होन्दी
होन्दं इत्यादि रूप होंगे। पैशाची में होन्तो होन्ती
होन्तं
इत्यादि रूप बनेंगे।
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