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अठारहवाँ पाठ अकारान्त, इकारान्त, ईकारान्त और ऊकारान्त शब्द
_( स्त्रीलिङ्ग) प्राकृत में आकारान्त शब्द ( नाम ) दो प्रकार के हैं। कुछ आकारान्त शब्दों का मूलरूप अकारान्त होता है, लेकिन स्त्रीलिंग के कारण आकारान्त हो जाता है। जबकि कुछ आकारान्त शब्दों का मूलरूप प्रकृति से आकारान्त नहीं होता, परन्तु व्याकरण के किसी विशेष नियम के कारण आकारान्त हो जाता है।
नीचे दोनों प्रकार के आकारान्त शब्दों के रूप दिए गए हैं । जो शब्द मूलतः अकारान्त नहीं है, उसका सम्बोधन का एकवचन प्रथमा विभक्ति जैसा ही होता है। लेकिन जो मूल से अकारान्त हैं उनके सम्बोधन के एकवचन में अन्त्य 'आ' को 'ए' हो जाता है ( देखिए, हे० प्रा० व्या० ८।३।४१)। इन दोनों प्रकार के शब्दों के रूपों में दूसरा कोई भेद नहीं है। जैसेननान्दृ नणंदा
हे नणंदा ! अप्सरस्
अच्छरसा हे अच्छरसा! सरिया
हे सरिया ! सरिआ
हे सरिआ ! वाच्
हे वाया ! माल माला
हे माले ! हे माला ! रम रमा
हे रमे ! हे रमा !
हे कान्ते ! हे कान्ता ! | देवत देवता
हे देवते ! हे देवता! | मेघ मेघा
हे मेहे ! हे मेधा !
सरित्
वाया
मल
कान्ता
अकारान्त कान्त
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