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( २९७ ) तृपु० ज्जए, ए, एय, ज्ज, ज्जा, ज्ज, ज्जा सर्वपुरुष ) ज्जइ सर्ववचन)
'ज्ज' अथवा 'ज्जा' प्रत्ययों से पूर्व धातु के अन्त्य 'अ' को 'इ' और 'ए' होता है। जैसे
'हस्' धातु का रूप एकव०
बहुव० प्र०पु० हसिज्जामि, हसेज्जामि हसिज्जामो, हप्तेज्जामो म०पु० हसिज्जासि, हसेज्जासि, हसिज्जाह, हसेज्जाह
हसिज्जसि, हसेज्जसि तृ०पु० हसिज्जए
हसिज्ज, हसेज्ज हसे, हसेय,हसिज्ज, हसेज्ज हसिज्जा, हसेज्जा
हसिज्जा, हसेज्जा सर्वपुरुष । हसिज्जइ, हसेज्जइ सर्ववचन ।
'हो' धातु का विकरणवाला 'होम' रूप ( अंग ) बनता है और उसके रूप 'हस्' धातु के समान ही होते हैं। इसी प्रकार विकरणवाले सभी स्वरान्त धातु के रूप समझ लेने चाहिए । विकरण रहित 'हो' धातु के रूपप्र.पु. होज्जामि
होज्जामो म०पु० होज्जासि, होज्जसि होज्जाह तृ०पु० होज्जए, होए होज्ज, होज्जा
होएय, होज्ज, होज्जा सर्वपुरुष होज्जा, होएज्जइ) ( विकरणवाले) सर्ववचन । होइज्जइ.
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