________________
पाठमाला-वाक्यरचना विभाग
पहला पाठ
. वर्तमानकाल
एकवचन के पुरुषबोधक' प्रत्यय १. पुरुष- मिरे, ए २. पुरुष-तू सि, से ३. पुरुष-वह ति, ते
धातुहरिस् (हर्ष ) हर्ष होना, प्रसन्न धरिस् (धर्ष ) धसना, धंसना,
होना
घुसना, धृष्ट होना १. पुरुष याने कर्ता अथवा कर्म, ये प्रत्यय जब प्रयोग ‘कर्तरि' होगा
तब कर्ता को सूचित करते हैं और जब प्रयोग 'कर्मणि' होगा तब कर्म को सूचित करते हैं-क्रियापद के साथ जिसका सम्बन्ध सीधा हो-समानाधिकरणरूप हो उसका नाम पुरुष-देवखामि-मैं देखता हूँ अथवा देक्खिज्जामि-उनसे मैं दीख पड़ता हूँ, 'देक्खामि' का 'मैं' के साथ सीधा सम्बन्ध है और 'मैं' कर्ता है, तथा देक्खिज्जामि का भी मैं के साथ सीधा सम्बन्ध है, देक्खिज्जामि का कर्म 'मैं' है पर कर्ता तो 'उनसे' है अर्थात् तृतीयपुरुष है ( हे० प्रा० व्या० ८।३।१४१, १४०, १३६)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org