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दूसरा पाठ
किसी भी लोक-व्यापक दूसरी भाषा में द्विवचन-सूचक प्रत्यय अलग उपलब्ध नहीं होते। इसी प्रकार लोकव्यापक प्राकृतभाषा में भी द्विवचनदर्शक अलग प्रत्यय नहीं हैं। इसीलिए इस पाठ में एकवचनीय प्रत्ययों के पश्चात् बहुवचनीय प्रत्ययों का ही प्रकरण दिया गया है। परन्तु जब द्विवचन का अर्थ सूचित करना हो तब क्रियापद अथवा संज्ञा शब्द साथ द्वि' शब्द के बहुवचनीय प्राकृतरूपों का उपयोग करना पड़ता है। वे रूप इस प्रकार है :
'दोण्णि, दुण्णि ( द्वीनि ?)
वेण्णि, विण्णि द्वितीया )
दो (द्वौ) दुवे (द्वे)
वे, बे (ढे) प्रयोग :-बे सिव्वामो-हम दोनों सीते हैं ।
प्रथमा तथा
१. 'दु' शब्द के जो रूप ऊपर बताये हैं उसके साथ बिल्कुल मिलते
जुलते रूप आज भी अलग-अलग लोक भाषाओं में प्रचलित हैं। जैसे :वे, बे गुजराती-बे दुण्णि, दोण्णि मराठी-दोन विण्णि, वेण्णि ,,-बन्ने दुवे बंगाली–दुई दो, हिन्दी-दो
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