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चौथा पाठ
अस् = विद्यमान होना। अस् धातु के रूप अनियमित है । वे इस प्रकार हैं:एकवचन
बहुवचन १. पु० अम्हि, म्हि (अस्मि ) म्ह, म्हो, मो मु० ( स्मः )
मि, अंसि, अत्थेि ___अस्थि २. पु० सि, असि ( असि ), अस्थि थ (स्थ ), अत्थि ३. पु० अस्थि
अस्थि, संति ( सन्ति )। १. हे० प्रा० व्या० ८।३।१४६, १४७, १४८ ।। २. व्याकरण में 'म्ह' तथा 'म्हो' रूप विहित किये गये हैं परन्तु प्राचीन
आर्ष प्राकृत भाषा में म्हु, मु, मो, ऐसे रूप भी प्राप्त होते हैं । ३. 'अंसि' ( अस्मि ) रूप विशेषतः आर्षप्राकृत में पाया जाता
है और 'अत्थि' रूप सभी पुरुषों और सभी वचनों में प्रयुक्त होता है। ४. अस् धातु के पालि रूपएकव०
बहुव० १. अस्सि, अम्हि
अस्म, अम्ह २. असि, अहि
अत्थ ३. अत्थि
-देखिए पा० प्र० पृ० १७८॥
संति
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