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( १७४ ) प्रा० व्या० ८।३।१३३ )-वहाइ (वधाय ), 'आय', 'आए' और 'आई' इन तीनों में विशेष समानता है। 'आइ' प्रत्ययवाला रूप बहत प्रचलित नहीं है। इसीलिए उपर्युक्त रूपों में नहीं बताया गया है। कई स्थानों में 'आए' के बदले 'आते' प्रत्यय भी उपलब्ध होता है अतः 'वीराए' की भाँति 'वीराते' रूप भी आर्ष प्राकृत में
मिलता है। छांदस नियम को तरह चतुर्थी विभक्ति के अर्थ में षष्ठी विभक्ति का उपभोग होता है अतः इन दोनों के समान रूप होते हैं।
पुंलिंग शब्द [ नरजाति ] अरिहंत ( अर्हत् )=बोतराग देव । बाल ( बाल ) = बालक ।
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२. अरिहंत वगैरह अनेक शब्द समग्र पुस्तक में दिए गए हैं। उन शब्दों को शौरसेनी, मागधी तथा पैशाची के शब्दपरिवर्तन के नियम लगाकर शौरसेनी, मागधो, पैशाची रूप बनाना, बादमें उनके सातों विभक्तियों के रूप बनाने चाहिए ।
अरिहंत का मागधी अलिहंत । णिव का पैशाची निप नयण का , नयन जिण का , जिन जिण का मागधी यिण पुच्छ का
पुश्च पिच्छ का , पिश्च हस्त का , हस्त वदण का पैशाची वतन वात का शौरसेनी वाद
अज्ज का शौरसेनो अय्य । इस प्रकार सब शब्दों में तत्-तत् भाषा के परिवर्तन नियमों का उपयोग करना चाहिए ।
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