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हिइरे
( २५० ) तृपु० स्सइ) (ष्यति)
स्संति ) (ष्यन्ति) स्सति
स्संते (ष्यन्ते) स्सए ((ष्यते) स्सते. हिइ
हिंति हिति
हिते हिए हिते
मागधी रूप :-- प्र०पु० भणिश्शं, भणिश्शिमि, म०पु० भणिश्शिशि, भणिश्शिशे तृपु० भणिश्शिदि,भणिश्शिदे इत्यादि रूप मागधी भाषा के परिवर्तन
नियमानुसार होंगे। पैशाची रूप बनाने के लिए तृतीय पुरुष के एकवचन में केवल 'एव्य' प्रत्यय लगाना चाहिए। जैसे, हुव्-एय्य = हुवेय्य ( भविष्यति ); बाकी रूप शौरसेनी की तरह या प्राकृत की तरह होंगे। ( देखिये-हे० प्रा० व्या० ८।४।३२०) अपभ्रंश में भविष्यतकाल के प्रत्यय :
एकव. प्र.पु. सउं, स्सिङ, समि, स्सिमि सहुं, स्सिहुं
समो, स्सिमो समु, स्सिम
सम, स्सिम म०पु० सहि, स्सिहि
सहु, स्सिहु, सधु, सिधु ससि, स्सिसि
सह, स्सिह ससे, स्सिसे
सध, स्सिध सइत्था, स्सिइत्था
बहुव०
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