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सर्व पुरुष - सर्ववचनः ज्ज, ज्जा"
भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाने से पूर्व धातु के अंग के अन्तिम 'अ' को 'ए' और 'इ' होते हैं ।
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भण् + अ = भण + स्सामि = भणेस्सामि, भणिस्सामि इत्यादि ।
तृ०पु० सदि, सदे
स्सिदि,
स्सिदे
सई, सए
स्सिइ, स्सिए
म०पु० भणिसहि, भणेसहि
( २५१ )
अपभ्रंश में 'भण' धातु के रूप :
एकव ०
प्र०पु० भणिसउं, भणेसउं भणिस्सिउं, भणेस्सिउं भणिसमि, भणेसभि भणिसिमि, भणेसिमि
तृ०पु० भणिसदि, भणेसदि
सहि, संति
संते, सइरे
सिहि, स्सिति
रिसते, स्सिइरे
भणिसिहि, भणेस्सिहि
भणिससि, भणेससि, भणिस्सिसि, भणेस्सिसि भणिससे, भणेससे, भणिस्सिसे, भणेस्सिसे
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भणिसदे, भणेस दे भणिस्सिदि, भणेस्सिदि
भणिस्सिदे, भणेस्सिदे
भणिसइ, भणेसइ, भणिसए, भणेस ए भणिस्सिइ, भणेस्सिए भणेस्सिइ, भणेस्सिए
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