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( १५४ )
धातुएँ मज्ज् , (मद्य)-मद करना, खुश होना, अभिमान करना । खिज्ज् (खिद्य)-खीझना, खिन्न होना, खेद करना : सं + पज्ज् (सं+पद्य)-प्राप्त होना । नि + प्पज्ज (निष्पद्य) निष्पादन करना, होना। विज्ञ् (विद्य)-विद्यमान होना, उपस्थित होना। जोत्, जोअ (द्योत)-घोतित होना, प्रकाशित होना, देखना। सिज्ज् (स्विद्य)-स्वेद का आना (होना), पसोजना, चिकना होना। दिव्व् (दीव्य)-द्यूत खेलना, क्रीड़ा करना।
वाक्य
तू देता है। वह होता है। हम गाते हैं। तुम दौड़ते हो। वे दोनों खाते हैं। मैं खड़ा हूँ। (तुम) हो। वह जाता है। मैं खुश होता हूँ। वह खेद करता है। वह निष्पादन करता है। वह सम्पादन करता है।
हम दोनों ध्यान करते हैं। तुम पोते हो। वे दोनों खेलते है। पसोजता है। (हम) हैं। विद्यमान है। तुम दो हो। तू दीप्त होता है। हम छोड़ते हैं। मैं जाता हूँ। मैं हूँ। मैं पूर्ण करता हूँ । हम प्रकाशित होते हैं।
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