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( १४७ )
रूपाख्यान १. पु० बोल्लमो, बोल्लामो, बोल्लिमो, बोल्लेमो २. पु. वोल्लह, बोल्लेह ३. पु० बोल्लंति, बोल्लेति
वाक्य हम सीते हैं।
तुम दोनों बन्दना करते हो । हम वन्दना करते हैं। तुम जाप कहते हो। हम लोटते हैं।
तुम कुपित होते हो। तुम दोनों बोलते हो। तुम घबराते हो। तुम दोनों सीते हो। हम दोनों शोभित होते हैं,चमकते हैं। हम दोनों फेंकते हैं।
वह सीता है। हम दोनों काँपते हैं। मैं काँपता हूँ। बे दोनों शाप देते हैं। मैं फेंकता हूँ। वे दोनों वन्दना करते हैं। तू लोटता है। वे दोनों जाप करते हैं। तू सीता है। मैं जाता हूँ।
तू जाप करता है। वह दीप्त होता है,शोभित होता है, चमकता है, प्रकाशित होता है। बंदामो
वंदेते सविरे
गच्छति
वन्दधे
वन्ददे
१. बोल्ल + अ + इत्था = बोल्लित्था अथवा बोल्लइत्था देखिए पृ० ६५
नि० ९। २. बोल्ल + अ + न्ते = बोल्लन्ते, बोल्ल + अ + इरेबोल्लिरे रूप भी समझना चाहिए । ३. अभ्यास के लिए शौरसेनी के तथा मागधी भाषा के नियम लगाकर ऐसे धातु रूपों के वाक्य बनाना जरूरी है।
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