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कटक
का
( ३६ ५. दो स्वरों के बीच में पाए हुए 'ट' को 'ड' होता है।
घट-घड, घटते-घडइ, नट-नड, भट-भड ।
(पालि भाषा में 'ट' को 'ड' होता है। देखिए-पा० प्र० पृ. ५८-ट= ड) पैशाची भाषा में 'टु' को 'तु' भी होता है।
सं० पै० प्रा० कुटुम्ब कुतुंब, कुटुंब कुटुंब
कतुत्र, कटुक कडुप पटु पतु, पटु पड्डु ६. दो स्वरों के बीच में श्राए हुए 'ठ' को 'ढ' होता है।
मठ-मढ, कुठार-कुढार, पठति-पढइ । ७. दो स्वरों के बीच में अाए हुए 'ड' को 'ल' होता है।
तडाग-तलाय, गरुड-गरुल, क्रीडति-कीलइ । .. (पालि भाषा में भी 'ड' को 'ळ' होता है और 'ण' को 'न' होता है। देखिए-क्रमशः पा० प्र० पृ० ४३--ड =ळ ; पा० प्र० पृ० ५८-ण = न ) ८. दो स्वरों के बीच में श्राए हुए 'न' को 'ण' नित्य तथा शब्द
के आदि में रहे 'न' को 'ण' विकल्प से होता है।
१. हे० प्रा० व्या०८।१।१६५ । २. हे० प्रा० व्या०८४३११ । ३. हे० प्रा० व्या० ८१११६६ । ४. हे० प्रा० व्या०८२२०२। ५. हे० प्रा० व्या०८।१।२२८, २२६ ।
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