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सं० अप०
प्रा० ग्रीष्म गिम्ह, गिम्भ गिम्ह श्लेष्म सिम्ह, सिम्भ सिम्ह पक्ष्म पम्ह, पम्भ
पम्ह पक्ष्मल
पम्हल, पम्भल पम्हल । ब्राह्मण
बम्हण, बंभण बम्हण (पालि भाषा में श्म=म्ह, म-म्ह, स्म-म्ह होता है और कहींकहीं श्म और स्म को स्स तथा स होता है। देखिये पा० प्र० पृ० ५०) १५.
'ल्ह' विधान 'ह' को 'ल्ह' कहार-कल्हार । प्रह्लाद-पल्हाश्र ।
(पालि भाषा में 'ह' के बदले 'हिल' बोला जाता है :-हादहिलाद । देखिये-पा० प्र० पृ० ३२) १६. कुछ संयुक्त व्यञ्जनों के मध्य में स्वरों का श्रागम 'क्तके स्थान में 'किल' क्लाम्यति-किलम्मइ । क्लाम्यत्-किलमंत ।
क्लिष्ट-किलि । क्लिन्न-किलिन । क्लेश-किलेस ।
शुक्ल-सुकिल, सुइल । 'ग्ल' के स्थान में 'गिल' ग्लायति-मिलाइ । ग्लान-गिलाण । 'प्ल' के , ,, 'पिल' प्लुष्ट-पिलुह । प्लोष-पिलोस । 'म्ल', , , 'मिल' अम्ल-अंबिल । म्लान-मिलाण ।
म्लायति-मिलाइ । 'श्ल',, , , सिल' श्लेष-सिलेस । श्लेष्मा-सिलिम्हा ।
श्लोक-सिल्लोग । श्लिष्ठ-सिलिह । 'र्य के स्थान में 'रिअ' अथवा 'रिय' याचार्य-प्रायरित्र । मास्भीर्य
गंभीरित्र । गाभीर्य-गहोरिन । ब्रह्मचर्य-बम्हचरिश्र । १. है० प्रा० ग्या०८/२।७६ । २. हे० प्रा० व्या०८।२।१०६ । ३. हे० प्रा० व्या० ८।२।१०७ ।
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