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( १०८ ) इसी प्रकार कमलनयणा, गजाणणो, हंसगमणा, चंदमुही आदि । न बहुव्वीहि :
न-कार सूचक 'अ' और 'अण' के साथ भी बहुव्वीहि समास होता हैं । जैसे :
न अत्थि भयं जस्स सो अभयो। न अत्थि पुत्तो जत्स सो अपुत्तो। न अस्थि नाहो जस्स सो अणाहो। न अत्थि पच्छिमो जस्स सो अपच्छिमो।
न अस्थि उयरं जीए सा अणुयरा । स बहुव्वीहि :
इसी प्रकार सहसूचक 'स' अव्यय के साथ बहुन्वीहि समास होता है। पुत्तेण सह सपुत्तो राया। फलेण सह सफलं । सोसेण सह ससीसो आयरियो। मूलेण सह समूलं । पुण्णेण सह सपुण्णो लोगो । चेलेण सह सचेलं ण्हाणं । पावेण सह सपावो रक्खसो। कलत्तेण सह सकलत्तो नरो। कम्मणा सह सकम्मो नरो।
प, नि, वि, अव, अइ, परि आदि उपसर्गों के साथ जो बहुव्वीहि समास होता है उसे पादिबहुव्वीहि समास कहते हैं :
५ ( पगिटुं ) पुण्णं जस्स सो पपुण्णो जणो नि ( निग्गया ) लज्जा जस्स सो निल्लज्जो वि ( विगओ) धवो जीए सा विधवा अव ( अवगतं ) रूवं जस्स सो अवरूवो (अपूरपः) अइ ( अइक्कंतो) मग्गो जेण सो अइमग्गो रहो परि ( परिगतं ) जलं जाए सा परिजला परिहा ।
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