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'च' 'ज' 'द्य' को 'ज्ज'
'य्य' को 'ज्ज' 'ये' को 'उज'
'ज' विधान
द्युति - जुइ
। द्योत - जो
।
वैद्य - वेज | मद्य-मज । श्रद्य श्रज । श्रवद्य-श्रवज । शय्या - सेजा । जय्य- जज ।
श्रार्य श्रज । कार्य कज्ज । पर्याप्त-पजत्त । भार्याभजा । मर्यादा-मजाया । श्रार्यपुत्र - श्रजउत्त । शौरसेनी भाषा में 'ये' के स्थान में विकल्प से 'य्य'"
भी बोला
जाता है ।
( ६६ )
सं०
श्रार्यपुत्र
श्रार्य
कार्य
सूर्य
सुय्य, सुज्ज
( मागधी भाषा में 'द्य', 'ज्ज', तथा 'य' के स्थान पर आदि में 'य' और शब्द के अन्दर 'थ्य' ३ बोला जाता है । )
सं०
अद्य
मद्य
विद्याधर
१. हे० प्रा० व्या० ८२।२४
शौ०
श्रय्यउत्त, श्रज्जउत्त
श्रथ्य, श्रज
कथ्य,
कज्ज
३. हे० प्रा० व्या ८|४| २९२ ।
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मा०
अय्य
मध्य
विय्याहल
यथा
यधा
कुरु
कले यहि
करेञ्जहि
( पालि भाषा में 'द्य' को अ, ज्ज और य्य भी होता है । देखिए - पा० प्र० पृ० १८ और १६ वें का टिप्पण | पालि भाषा में र्य को यिर, यथवारिय होता है। देखिए - पा० प्र० पृ० १५, १६ । )
९.
Ято
चजउप्त ।
अज्ज ।
कज्ज
सुज्ज ।
विकल्प से
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प्रा०
श्रज्ज |
मज ।
विज्जाहर |
जहा
हे० प्रा० व्या० ८४।२६६ |
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