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निरुक्त कोश
१. अंग (अङ्ग)
अंगतीत्यंगम् ।' (उचू पृ १७५)
__जो प्रवृत्ति करता है, वह अंग है। अज्यते व्यक्तीक्रियते अस्मिन्नित्यङ्गम् ।
(आटी प ५) जिसमें (पराक्रम) व्यक्त किया जाता है, वह अंग है। २. अंगण (अङ्गन) अंगति तस्मिन्निति अंगनं ।।
(उचू पृ १५८) जिसमें घूमा जाता है, वह आंगन है। ३. अंगप्पभव (अङ्गप्रभव) अङ्गाद्-दृष्टिवादादेः प्रभव-उत्पत्तिरेषामिति अङ्गप्रभवानि ।
(उशाटी प ५) जो दृष्टिवाद आदि अंगश्रुत से उत्पन्न होते हैं, वे अंगप्रभव आगम हैं।
१. (क) अम्—गत्यादौ। (वा पृ७२)
(ख) 'अंग' शब्द के अन्य निरुक्तअमति वृद्धिमङ्गतीति वा अङ्गम् । (अचि पृ १२७)
जो बढ़ता है, वह अंग है । जो प्रवृत्ति करता है, वह अंग है । २. 'अंगण' शब्द का अन्य निरुक्तअगि—गतौ । अङ्ग यते गृहानिःसृत्य गम्यते अत्र अङ्गणम् ।
(वा पृ ७५) कमरे से निकल कर जिसमें घूमा जाता है, वह आंगन (courtyard) है।
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