Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[बंधगो६ $ १७२. कुदो ? उव्वेल्लणवावदपलिदोवमासंखेजभागमेत्तजीवरासिस्स'गहणादो ।
8 मिच्छत्तस्स संकामया असंखेज्जगुणा। $ १७३. कुदो ? वेदगसम्माइट्ठिरासिस्स पहाणभावेणेत्थ गहणादो । * सम्मामिच्छत्तस्स संकामया विसेसाहिया। $ १७४. केत्तियमेत्तेण ? सादिरेयसम्मत्तसंकामयजीवमेत्तेण । * अणंताणुबंधीणं संकोमया अणंतगुणा । १७५. कुदो ? एइंदियरासिस्स पहाणत्तादो। ॐ अट्ठकसायाणं संकामया विसेसाहिया। $ १७६. केत्तियमेत्तेण ? चउवीस-तेवीस-बावीस-इगिवीससंतकम्मियजीवमेत्तेण । * लोभसंजलणस्स संकामया विसेसाहिया ।।
६ १७७. केत्तियमेत्तेण ? तेरससंकामयमेत्तेण । कुदो ? अट्टकसाएसु खीणेसु वि जाव अंतरं ण करेइ ताव लोहसंजलणस्स संकमदंसणादो।।
१७२. क्योंकि उद्वेलनामें लगी हुई जो पल्यके असंख्यातवें भागप्र . पण जीवराशि है वह यहाँ ली गई है।
* मिथ्यात्वके संक्रामक जीव असंख्यातगुणे हैं । $ १७३. क्योंकि यहाँ वेदकसम्यग्दृष्टियोंका प्रधानरूपसे ग्रहण किया है। * सम्यग्मिथ्यात्वके संक्रामक जीव विशेष अधिक हैं। ६ १७४. शंका-कितने अधिक हैं ? समाधान- सम्यक्त्वके संक्रामक जितने जीव हैं उतने हैं। * अनन्तानुबन्धीके संक्रामक जीव अनन्तगुणे हैं। ६ १७५, क्योंकि अनन्तानुबन्धियोंके संक्रामकोंमें एकेन्द्रिय राशिकी प्रधानता है । * आठ कषायोंके संक्रामक विशेष अधिक हैं। ६ १७६. शंका-कितने अधिक हैं ?
समाधान–चौबीस, तेईस, बाईस और इक्कीसप्रकृतिक सत्त्वस्थानवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतने अधिक हैं।
* लोभसंज्वलनके संक्रामक जीव विशेष अधिक हैं। ६ १७७. शंका-कितने अधिक हैं।
समाधान-तेरह प्रकृतियोंका संक्रम करनेवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतने अधिक हैं, क्योंकि आठ कषायोंका क्षय हो जाने पर भी जब तक अन्तर नहीं करता है तब तक लोभसंज्वलनका संक्रम देखा जाता है।
१. ता०प्रतौ -मेत्तरासिस्स इति पाठः।
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