Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ बंधगो ६ * उवसामगस्स वि एकावीसदिकम्मंसियस्स छसु कम्मेसु उवसंतेसु बारसरहं संकमो भवदि । . २४५. एकवीससंतकम्मियस्सुवसामगस्स वि पयडिट्ठाणसंभवो पत्थि ति सुत्तत्थसंबंधो। कुदो ? तस्साणुपुव्वीसंकमवसेण लोभस्सासंकमं कादूण णदुस-इत्थिवेदे जहाकममुवसामिय अट्ठारससंकामयभावेणावट्ठिदस्स छसु कम्मेसु उवसंतेसु बारसण्हं पयडीणं संकमुवलंभादो।
चउवीसदिकम्मंसियस्स छसु कम्मेसु उवसंतेसु चोहसण्हं संकमो भवदि।
२४६. चउवीससंतकम्मियस्स वि उवसामगस्स पयदट्ठाणसंभवासंका ण कायव्वा, तस्स वि तेवीससंकमट्ठाणादो आणुपुव्वीसंकमादिवसेण वावीस-इगिवीस-वीससंकमट्ठाणाणि उप्पाइय समवट्ठिदस्स छसु कम्मेसु उवसंतेसु पुरिसवेदेण सह एकारसकसाय-दोदंसणमोहपयडीणं संकमपाओग्गभावेणुप्पत्तिदंसणादो ।
___ एदेण कारणेण सत्तारसण्हं वा सोलसरह वा पण्णारसण्हं वा संकमो पत्थि ।
$ २४७. एदेणाणंतरपरूविदेण कारणेण सत्तारसण्हं पयडीणं संकमो णत्थि । जहा सत्तारसण्हमेवं सोलसण्हं पण्णारसण्हं च पयडीणं णत्थि चेव संकमो, तिपुरिससमुदायार्थ है।
* इक्कीस प्रकृतियोंकी सत्तावाले उपशामकके भी छह नोकषायोंका उपशम होने पर बारह प्रकृतिक संक्रमस्थान होता है। ___$२४५. इक्कीस प्रकृतियोंकी सत्तावाले उपशामक जीवके भी प्रकृत संक्रमस्थान सम्भव नहीं है यह इस सूत्रका तात्पर्य है, क्योंकि आनुपूर्वी संक्रमके कारण लोभसंज्वलनका संक्रम न करके तथा नपुसकवेद और स्त्रीवेदका क्रमसे उपशम करके अठारह प्रकृतिक संक्रमस्थानको प्राप्त होकर स्थित हुए इस जीवके छह नोकपायोंके उपशान्त होनेपर बारहप्रकृतिक संक्रमस्थान उपलब्ध होता है।
* तथा चौबीस प्रकृतियोंकी सत्तावाले उपशामक जीवके छह नोकषायोंके उपशान्त होने पर चौदहप्रकृतिक संक्रमस्थान होता है ।
२४६. जो चौबीस प्रकृतियोंकी सत्तावाला उपशामक जीव है उसके भी प्रकृत स्थान सम्भव होगा ऐसी आशंका करना ठीक नहीं है, क्योंकि तेईस प्रकृतिक संक्रमस्थानमेंसे आनुपूर्वी संक्रम आदिके कारण बाईस, इक्कीस और बीस प्रकृतिक संक्रमस्थानोंको उत्पन्न करके अवस्थित हुए उसके क्रमसे छह नोकषायोंके उपशान्त हो जानेपर पुरुषवेदके साथ ग्यारह कपाय और दो दर्शनमोहनीय इन चौदह प्रकृतियोंकी संक्रमप्रायोग्यरूपसे उत्पत्ति देखी जाती है।
* इस कारणसे सत्रह सोलह और पन्द्रह प्रकृतियोंका संक्रम नहीं होता। :
$ २४७. यह जो अनन्तर कारण कह आये हैं उससे सत्रह प्रकृतियोंका संक्रम नहीं होता है। और जिस प्रकार सत्रह प्रकृतियोंका संक्रम नहीं होता उसीप्रकार सोलह और पन्द्रह
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