Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[बंधगो ६ गुण | प्रति० | प्रकृतियां० संक्रमस्थान० प्रकृतियाँ देशविरत | १५ प्र० पूर्वोक्त १६ मेंसे अप्रत्या- | २७,२६,२३ पूर्ववत्
| ख्यानावरण ४ के बिना १४ प्र० सम्यग्मि० के बिना | २२ प्र० | पूर्ववत्
१३ प्र० | सम्यक्त्वके बिना | २१ प्र० | पूर्ववत्
| ११ प्र० पूर्वोक्त १५ मेंसे प्रत्याख्या- २७, २६ | पूर्ववत् अप्रमत्त
नावरण ४ के बिना व २३ प्र० १० प्र०1 सम्यग्मिथ्यात्वके बिना | २२ प्र० | पूर्ववत्
६ प्र० सम्यक्त्वके बिना २१ प्र० | पूर्ववत् अपूर्वकरण | ११ प्र० पूर्ववत् | २३ प्र० | पूर्ववत् |९ प्र०
पूर्ववत् | २१ प्र. | पूर्ववत् उपशम | ७ प्र० चार संज्व०, पुरुषवेद, | २३,२२ व २३ पूर्ववत् ,२२सं० लोभके श्रेणि
सम्यक्त्व व । २१ प्र. | बिना, २१ नपुंसकवेदके २४ प्र० सम्यग्मिथ्यात्व
बिना सत्कर्मकी
| ६ प्र० । पुरुषवेदके बिना ] २० प्र० | २३ मेंसे नपुंसकवेद, अपेक्षा
स्त्रीवेद व संज्वलनलोभ
कम कर देने पर १४ प्र० | २० मेंसे छह नोकषाय
__ कम कर देने पर १३ प्र० । १४ मेंसे पुरुषवेदके
कम कर देने पर क्रोधसंज्वलनके बिना
| १३ मेंसे दो क्रोधोंको!
कम कर देने पर १० प्र० | ११ मेंसे क्रोधसंज्वलन
के कम कर देने पर ४ प्र० | मानसंज्वलनके बिना | दो मान कमकर देनेपर
७ प्र० मानसं०कम करदेने पर | माया संज्वलनके बिना, ५ प्र. दो माया कमकर देनेपर
४ प्र० मायासं० कमकर देनेपर २५० लोभसं० के बिना
मिथ्या० व सम्यग्मि. सम्यक्त्व व सम्यग्मि०
११प्र०
८प्र.
३ प्र०
२प्र०
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