Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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गा०५८]
भुजगारे परिमाण ६४७४. परिमाणाणु० दुविहो णिदेसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण भुज०अप्प०संका० असंखेजा । अवढि० अणंता । अवत्त० संखेज्जा । एवं तिरिक्खा० । णवरि अवत्त० णत्थि । आदेसेण णेरइय० सव्वपदसंका० असंखेज्जा। एवं सव्वणेरइय-सव्वपंचिं०तिरिक्ख-मणुसअपज्ज०-देवा जाव अवराजिदा त्ति । मणुसेसु भुज०-अवत्त० संखेजा । सेसा असंखेजा। मणुसपज्ज०-मणुसिणी-सव्वट्ठसु सव्वपदसंका० संखेज्जा । एवं जाव०।
$ ४७५. खेत्ताणु० दुविहो णिदेसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण अवढि०संका० सबलोगे। सेससंका० लोगस्स असंखे०भागे । एवं तिरिक्खा० । सेससव्वमग्गणासु सव्यपदसंका० लोग० असंखे०भागे । एवं जाव ।
$ ४७६. पोसणाणु ० दुविहो णिद्द सो-ओघेण आदेसेण य। ओघेण भुज०संका० केव० पोसिदं ? लोग० असंखे०भागो अट्ठ-बारहचोदस० देसूणा। अप्पद० अट्ठचोद० देसूणा सव्वलोगो वा । अवट्ठि० सव्वलोगो । अवत्त० लोग० असंखे० भागो । आदेसेण णेरइय० भुज० लोग० असंखे भागो पंचचोदस० देसूणा। अप्पद०-अवट्ठि० लोग०
४७४. परिणामानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओपनिर्देश और आदेशनिर्देश । ओघकी अपेक्षा भुजगार और अल्पतर पदके संक्रामक जीव असंख्यात हैं। अवस्थित पदके संक्रामक जीव अनन्त हैं । अवक्तव्य पदके संक्रामक जीव संख्यात हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिये । किन्तु इतनी विशेषता है कि इनमें अवक्तव्य पद नहीं है। आदेशकी अपेक्षा नारकियोंमें सब पदोंके संक्रामक जीव असंख्यात हैं। इसी प्रकार सब नारकी, सब पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य अपर्याप्त, सामान्य देव और अपराजित विमान तकके देवोंमें जानना चाहिये। मनुष्योंमें भुजगार और अवक्तव्य पदके संक्रामक जीव संख्यात हैं। शेष पदोंके संक्रामक जीव असंख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब पदोंके संक्रामक जीव संख्यात हैं । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिये।
४७५. क्षेत्रानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारको है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । ओघकी अपेक्षा अवस्थितपदके संक्रामक जीव सब लोकमें रहते हैं और शेष पदोंके संक्रामक जीव लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र में रहते हैं। इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिये । शेष सब मार्गणाओंमें सब पदोंके संक्रामक जीव लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रमें रहते हैं। इसी प्रकार अनाहारक मागेंणातक जानना चाहिये ।
४७६. स्पर्शनानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघनिर्देश और आदेशनिर्देश । अघकी अपेक्षा भुजगार पदके संक्रामक जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका और सनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम आठ और कुछ कम बारह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । अल्पतर पदके संक्रामक जीवोंने सनालीके चौदह भागों में से कुछ कम आठ भागप्रमाण क्षेत्रका और सब लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अवस्थितपदके संक्रामक जीवोंने सब लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अवक्तव्य पदके संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्श किया है। आदेशकी अपेक्षा नारकियोंमें भुजगार पदके संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका और बसनालीके चौदह भागोंमेंसे कुछ कम पाँच भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अल्पतर और अवस्थित पदके संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र का और सनालीके चौदह भागों
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