Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 362
________________ गा० ५८ ] उत्तरपयडिट्ठिदिसंकमे अप्पाबहुअं ३४३ ३४६ ७०९. समयूणदोआवलिपरिहीणाबाहापवेसादो । * कोहसंजलस्स जहएणहिदिसंकमो विसेसाहिो । $ ७१०. कुदो ? आबाहूणवे०मासपमाणत्तादो । * जहिदिसंकमो विसेसाहिओ। $ ७११. एत्थ विसेसपमाणं समयूणदोआवलियपरिहीणाबाहामेत्तं । * पुरिसवेदस्स जहएणहिदिसंकमो संखेजगुसो। ६ ७१२. किंचूणवेमासेहितो अंतोमुहुत्तूणहवस्साणं तहाभावस्स गायोववण्णत्तादो। ॐ जट्ठिदिसंकमो विसेसाहिो । ६७१३. सुगमं । छण्णोकसायाणं जहणपढिदिसंकमो संखेजगुणो। ७१४. समयूणदोआवलियपरिहीणहवस्सेहिंतो छण्णोकसायचरिमट्टिदिखंडयस्स संखेजवस्ससहस्सपमाणस्स संखेजगुणत्ताविरोहादो । ॐ इत्थि-णवंसयवेदाणं जहएणहिदिसंकमो तुल्लो असंखेजगुणो । ६ ७१५. कुदो ? पलिदोवमासंखभागपमाणत्तादो । 8 अढण्हं कसायाणं जहएणहिदिसंकमो असंखेजगुणो। 5७०६. क्योंकि इसमें एक समय कम दो आवलिसे हीन आवाधाकालका प्रवेश हो गया है। * उससे क्रोधसंज्वलनका जघन्य स्थितिसंक्रम विशेष अधिक है। ६७१०. क्योंकि यह आबाधासे हीन दो मासप्रमाण है। * उससे यत्स्थितिसंक्रम विशेष अधिक है। $ ७११. यहाँ पर विशेषका प्रमाण एक समय कम दो आवलिसे हीन आबाधामात्र है। * उससे पुरुषवेदका जघन्य स्थितिसंक्रम संख्यातगुणा है। ६७९२. क्योंकि कुछ कम दो माहसे अन्तर्मुहूर्तकम आठ वर्षका उस प्रकारका होना न्यायसंगत है। * उससे यत्स्थितिसंक्रम विशेष अधिक है । ६७१३. यह-सूत्र सुगम है। * उससे छह नोकषायोंका जघन्य स्थितिसंक्रम संख्यातगुणा है। ६७१४. क्योंकि एक समय कम दो आवलियोंसे हीन आठ वर्षोंसे संख्यात हजार वर्षप्रमाण छह नोकषायोंके अन्तिम स्थितिकाण्डकके संख्यातगुणे होनेमें कोई विरोध नहीं है। * उससे स्त्रीवेद और नपुंसकवेदका जघन्य स्थितिसंक्रम परस्पर तुल्य होकर भी असंख्यातगुणा है। $ ७१५. क्योंकि यह पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है । * उससे आठ कषायोंका जघन्य स्थितिसंक्रम असंख्यातगुणा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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