Book Title: Kasaypahudam Part 08
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवला सहिदे कसायपाहुडे
* अप्पा हु ।
९ ४४०. एत्तो पत्तावसरमप्पाबहुअं परूवइस्सामो त्ति पहजामुत्तमेदं । * सव्वत्थोवा णवण्हं संकामया ।
१४४१. कुदो एदेसिं थोवतं णव्वदे ? थोवकालसंचिदत्तादो । तं कथं ? saara संतकमिओ उवसमसेटिं चढिय दुविहं कोहं कोहसंजलणचिराणसंतेण सह उवसामिय तण्णवकबंधमुक्सामेंतो समऊणदो आवलियमेत्तकालं नवहं संकामओ होइ । तदो थोवकालसंचिदत्तादो थोवयरत्तमेदेसिं सिद्धं ।
* एहं संकामया तत्तिया चैव ।
[ बंधगो ६
४४२. कुदो? माणसंजलणणवकबंधोवसामणापरिणदाणमिगिवीस संतकम्मिओवसामयाणं समऊणदोआवलियमेत्तकालसंचिदाणमिहावलंबनादो । एदेसिं च दोन्ह रासीणं सरिसत्तं चढमाणरासिं पहाणं काढूण भणिदं, ओयरमाणरासिस्स विवक्खा - भावादो । तहि विवक्खिय छसंकामएहिंतो णवसंकामयाणमद्भाविसेसेण विसेसाहियत्तदंसणादो ।
* चोदसरहं संकामया संखेज्जगुणा ।
४४३. जइ वि एदेवि समऊणदो आवलियमेत्त कालसंचिदा तो वि संखेजगुणत्त
* अब अल्पबहुत्वका अधिकार है ।
३४४०. अब इससे आगे अवसर प्राप्त अल्पबहुत्वको बतलाते हैं । इस प्रकार यह प्रतिज्ञासूत्र है ।
* नौ प्रकृतियोंके संक्रामक जीव सबसे थोड़े हैं । 68४१. शंका – इनकी अल्पता कैसे जानी जाती है ?
समाधान — क्योंकि इनका अल्पकालमें संचय होता है । यथा - इक्कीस प्रकृतियोंकी सत्तावाला जीव उपशमश्रेणिपर चढ़ कर क्रोध संचलन के प्राचीन सत्ता में स्थित सत्कर्मके साथ दो प्रकार के क्रोध का उपशम करके उसके नवकवन्धका उपशम करता हुआ एक समयक्रम दो आवलि कातक नौ प्रकृतियों का संक्रामक होता है, इसलिये थोड़े कालपें संचय होनेसे ये जीव थोड़े होते हैं यह बात सिद्ध हुई ।
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* उनसे छह प्रकृतियोंके संक्रामक जीव उतने ही हैं ।
$ ४४२, क्योंकि जो इक्कीस प्रकृतियोंकी सत्तावाले उपशामक जीव मान संज्वलन के नवकवन्धका उपशम कर रहे हैं जो कि एक समय कम दो आवलि काल के भीतर संचित होते हैं उनका यहाँ अवलम्बन लिया गया है। किन्तु इन दोनों राशियोंकी समानता उपशमश्रेणिपर चढ़नेवाली राशिकी प्रधानता से कही गई है, क्योंकि यहाँ उपशमश्रेणिसे उतरनेवाली राशिकीविक्षा नहीं है । यदि उतनेवाले जीवों की प्रधानतासे विचार किया जाता है तो छह प्रकृतियोंके संक्रामकों से नौ प्रकृतियों के संक्रामकोंका अधिक काल होने के कारण वे विशेष अधिक देखे जाते हैं ।
* उनसे चौदह प्रकृतियोंके संक्रामक जीव संख्यातगुणे हैं ।
$४४३. यद्यपि ये भी एक समय कम दो आवलिप्रमाण कालके भीतर संचित होते हैं।
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