________________
वीकानेर के व्याख्यान ]
[ २३
अपने भाग्य से ही बड़ी हो पाती है । लड़की बड़ी हो जाती है तो उसके शिक्षण का वैसा प्रबंध नहीं किया जाता जैसा लड़के का ! लेकिन उसे लड़के के वेष में रक्खा जाता है, जिससे उसका नम्रता का गुण कम हो जाता है ।
जहाँ इस प्रकार का पक्षपात हो. समझना चाहिए कि वहाँ भगवान् शांतिनाथ के समझने का प्रयत्न ही नहीं किया गया है । इसलिए मैं कहता हूँ कि पक्षपात को दूर करो। यह पक्षपात गृहस्थजीवन का घोर अभिशाप है । लड़कियों के विरुद्ध किया जाने वाला ऐसा पक्षपात अत्यन्त भयंकर परिणाम पैदा करने वाला है। किसी नवयुवती कन्या को बूढ़े के साथ व्याह देना क्या कम अत्याचार है ? पैसे के लोभ में आकर अपनी कन्या के साथ ऐसा निर्दयतापूर्ण व्यवहार करने वाले लोग किस प्रकार भगवान शांतिनाथ की उपासना कर सकते हैं ? अपनी ही संतान को जो लोग अशांति की आग में झोंकते नहीं हिचकते उन्हें किस प्रकार शान्ति मिल सकती है ? अगर आप सच्ची शांति चाहते हैं तो अपने समग्र जीवनक्रम का विचार करें और उसमें अशांति पैदा करने वाले जितने अंश हैं, उन्हें हटा दें। इससे आप, आपका परिवार, समाज और देश शांति प्राप्त करेगा । ऐसा करने पर ही भगवान् शांतिनाथ की आराधना हो सकेगी ।
कन्या के बदले पैसे लेने वाले का कभी भला नहीं होता । मैं अपनी आँखों देखी बात कहता हूँ । एक आदमी के पाँच
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com