________________ और ग्यारहवें क्रम पर) हुई थी, परन्तु स्मृति, धारणा और विषय अन्वेषण की दृष्टि से इन्हें अंगों में (तीसरे व चौथे क्रम पर) स्थान दिया गया।" 5. व्याख्या-प्रज्ञप्ति : भगवती-सूत्र के नाम से विख्यात इस विशालकाय आगम में 36 हजार प्रश्न और उनके उत्तर हैं। प्रश्नकर्ता गणधर इन्द्रभूति गौतम हैं और उत्तर-प्रदाता तीर्थंकर महावीर हैं। आरम्भ में मंगलाचरण के रूप में पहली बार पंच परमेष्ठी को नमन रूप नमस्कार-सूत्र का उल्लेख है। साथ ही "णमो बम्भीए लिवीए" तथा "णमो सुयस्स" पदों से ब्राह्मी लिपि और श्रुत को भी नमस्कार किया गया है। 15वें, 17वें, 23वें और 26वें शतक की शुरुआत में "णमो सुयदेवयाए भगवईए" पद के द्वारा मंगलाचरण को गिनते हुए इस आगम में कुल छः स्थानों पर मंगलाचरण है। जबकि अन्य आगमों में ऐसा नहीं है। विज्ञान, वाणिज्य, इतिहास, भूगोल, राजनीति, धर्म, सम्प्रदाय, रीति-रिवाज आदि विश्व के अनेकानेक विषयों का इसमें स्पष्ट या गर्भित रूप से वर्णन है। ज्ञान-विज्ञान का इस महत्वपूर्ण कोष में धार्मिक उदारता के अनेक सन्दर्भ प्राप्त होते हैं। वहाँ किसी विचारधारा और धार्मिक जीवन पद्धति को हीन दृष्टि से नहीं देखा जाता था। इसमें एक श्रुतस्कन्ध, 138 शतक, 1627 उद्देशक, 288000 पद, 5293 गद्य-सूत्र और 72 पद्य-सूत्र हैं। 6. ज्ञाताधर्मकथांग : इस कथा प्रधान आगम में दो श्रुत-स्कन्ध हैं। प्रथम ज्ञान श्रुतस्कन्ध में 19 और दूसरे धर्मकथा श्रुतस्कन्ध में 10 वर्ग हैं।20 इसका उपलब्ध पाठ 5500 श्लोक प्रमाण हैं, जिसमें 159 गद्य-सूत्र और 62 पद्य-सूत्र हैं। इसके पाँचवे अध्ययन में थावच्चा सार्थवाही से पता चलता है कि महिलाएँ भी वाणिज्य में कुशल होती थी। सातवें अध्ययन के रोहिणी कथानक से भी यह बात स्पष्ट होती है। बारहवें अध्ययन उदकज्ञात में गन्दे पानी को साफ करने की पद्धति बताई गई है। यह पद्धति वर्तमान कालीन फिल्टर पद्धति से मिलती-जुलती है। भगवान पार्श्वकालीन समाज-व्यवस्था का चित्रण भी मिलता है। सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि दृष्टियों से भी यह अंग महत्वपूर्ण है। 7. उपासकदशा : द्वादशांगी के इस सातवें अंग में भगवान महावीर युग के दस प्रसिद्ध श्रावकों का वर्णन है। इन दस उपासकों के माध्यम से तत्कालीन धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का जीवन्त चित्रण हमें प्राप्त होता है। धर्मकथानुयोग प्रधान इस अंग में एक श्रुतस्कंध, दस अध्ययन और दस उद्देशक हैं। 11 लाख 52 हजार पदों वाले इस आगम में उपलब्ध पाठ 812 श्लोक