Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
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करणिज्जकिरिया-करणीयक्रिया-यद येन प्रकारेण करिमकरा-मत्स्यविशेषः। सम० १३५ करणीयं तत्तेनैव क्रियते नान्यथा सा। सूत्र० ३०४। करियातिओ-कृतवान्। निशी० १०९ अ। करणिज्जो-करणीयः-सामान्येन कर्तव्यः। आव० १७१। | करिसग-कर्षकः। नन्दी. १६४ करणी-क्रिया। अनुयो. १३८ वर्गमूलमानीयते। जम्बू | करिसणं-कर्षणं। कृषिः। प्रश्न० ८। १९|
करिसो-कर्षः- पलस्य चतुर्मागः। अनुयो० १५४। करणीयाइं-करणीयानि-कादाचित्कानि। ज्ञाता०९१।। करीर-गुच्छाविशेषः। प्रज्ञा० ३२ करतलं-हस्तसंखं। निशी० ६० आ।
करीरपाणगं- पाणकस्य अष्टादशो भेदः। आचा० ३४७) करतलपल्हत्थमुहे- करतले पर्यस्तं-अधोमुखतया न्यस्तं करिलं-रागद्वेषाभावे दृष्टान्तविशेषः। बृह. ३७ अ। मुखं येन सः। भग० १८०
करीलो-वंशजातिविशेषः। व्यव० २२५आ। करधाण-करध्मानम्-परस्परं हस्तताडनम्। जम्बू. करील्ल-शरीरं-प्रत्यग्रं कन्दलम्। अनुत्त०४॥ २०६।
करीस-करीषम्। भग० ३०६। करीषम्-शुष्कछगणम्। करपत्ते-क्रकचम्। ज्ञाता० २०४१ स्था० २७३।
दशवै. ९२ करपत्रम्-शस्त्रविशेषः। आव०८१९|
करीसओण्हा-करीषोष्मा। आव०४१६) करपल्लीवण-करप्रद्दीपनं-वसनावेष्टितस्य
करिणी-करेणु। उत्त० ६३४१ तिलाभिषिक्तस्य करयोरग्निप्रबोधनम्। सम० १२६| करुडगादियं-हिंगोलं। निशी. २२ अ। करबोडिय- व्याप्त। मरण।
करुणालंवणभूओ-करुणालम्बनभूतः। आव०४१३। करभी-घटसंस्थानकोष्ठिका। बृह. १७९ अ।
करुल्लं-कपालम्। आव० २०१। करमंदि-करमर्दी गुल्मभेदः। उत्त० ५४९।
करेंतगो-कर्ता। आव. २६२। करमद्द-करमर्दम्। आव० ६२२। गुच्छविशेषः। प्रज्ञा० ३२॥ | करेइ-निर्मथ्यते। ज्ञाता० २४२॥ करमोअणं-करमोचनं यत् करं मन्यमानो वन्दते न | करेणु- करेणुका-हस्तिनी। उत्त० ३४९। निर्जराम, कृतिकर्मणि पञ्चविंशतितमो दोषः। आव० | करेणू- करेणुका। ज्ञाता०६४] ५४४।
करेमाणा-कुर्वाणाः। ज्ञाता० ५७। करयलं-करतलं-हस्तः। प्रश्न
| करोटकं-कुप्यविशेषः। आव० ८२६। करयलत्थो-करतलस्थः-वशवर्ती। आव० ७२१| करोटिका- भाजनविशेषः। पिण्ड० ६८, १५५१ करयलपरिग्गहिय-करतलपरिगृहीतः करतलाभ्यां भाजनविधि-विशेषः। जीवा० ३६६। पात्रविशेषः। आव. परिगृहीतः-निष्पादितः। जीवा. २४३।
४४३। पात्र-विशेषः। पिण्ड १०५ करवत्तं-करपत्रम्। जीवा० ११७ करपत्रं-क्रकचम्। उत्त० | करोडग-भाजनविशेषः। निशी० ७१ आ। निशी० २५६अ। ४५९। करवतम्। नन्दी० १५५
निशी. ९३ आ। करवर-वनस्पतिविशेषः। पिण्ड १२९।
करोडि- करोडि। जम्बू० १०१। करोटिः। आव० ६८९। करालं-उन्नतम्। अनुत्त०६|
करोडिआ-अतीवविशालमुखा कुण्डिकैव करोडिका। करालो- युक्तः। भक्त।
अनुयो० १५२ करोटिका-स्थगिका। ज्ञाता०४४। करिंसुयसयं-करिंस इत्यनेन शब्देनोपलक्षितं। भग. करोडिय-करोटिका-मृद्भाजनविशेषः। भग० ११३ ९३८
करोटिकः-कपालिकः। विपा० ७६। करि-करोति। ओघ०१११
करोडिया-स्थगिका। भग० ५४८ कापालिका। ज्ञाता० करिए-करिकः-अष्टाशीत्यां चतुरशीतितमोग्रहः। जं०५० | ५८ करोट्या-कपालेन चरन्तीति करोटिका। ज्ञाता० ५३५
१५ करित्ता-करेत्ता। अभयवहृत्य। ओघ०४४।
करोडी-करोटिका-कपालिका। आव०६८९।
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [२]

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