Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-२) [Type text] कुसीलओ-कुशीलवः-विदूषकः। आ० ३९८ कुसुमरसं-कुसुमरसः, कुसुमासवः। दशवै०७२। कुसीलपडिसेवणया-कुशीलप्रतिषेवणता-कुशीलं-अब्रह्म कुसुमसंभवे- कुसुमसम्भवः, दशम मास नाम। जम्बू. तस्य प्रतिषेवणं, तद्भावः। स्था० २८१। ४९०। सूर्य. १५३ कुसीलपरिभासिए-सूत्रकृताङ्गस्य प्रथमश्रुतस्कन्धे कुसुमा-कुसुमसदृशत्वात् सौकुमार्यादिगुणयोगेन सप्तम-मध्ययनम्। सम० ३१| कुसुमाः। जम्बू० १३१॥ कुसीलवे-कुशीलवानां-नटानां। बृह. १०३ आ। कुसुमानि- पद्मलक्षणानि जातानि यत्र तत्कुसुमितम्। कुसीलाणपरिभासा-सुत्रकृताङ्गस्य प्रथमश्रुतस्कन्धे स्था०५० सप्तम-मध्यनम्। उत्त०६१४। कुसुमासव- किजल्कः । औप० ८१ कुसीलाणपरिहासा-कुशीलपरिभाषा, कुसुमासवलोला-किजल्कपानलम्पटाः। जीवा० १८८१ सूत्रकृताङ्गाद्यश्रुतस्कन्धे सप्तममध्ययनम्। आव. मकरन्दलम्पटाः। ज्ञाता० २७ किजल्कलम्पटाः। ६५१ ज्ञाता०५१ कुसुंबए-वनस्पतिविशेषः। प्रज्ञा० ३६| कुसुमिय- कुसुमितं-सञ्जातकुसुमम्। भग० ३७। कुसुंभ-औषधिविशेषः। प्रज्ञा० ३३। लट्टकाणाः। यत्पुष्यै- कुस्तुम्बकः-वनस्पतिविशेषः। प्रज्ञा० ३७ र्वस्त्रादिरागः। जम्बू० १२४। कुसुम्भं-तैलस्य तृतीयभेदः। | कुस्स-कुशो-यो वेधे प्रान्तः प्रवेश्यते। बृह० ३६ आ। आव० ८५४। धान्यविशेषः। भग० ८०२। कुहंडयकुसुमं- कूष्माण्डिकाकुसुमं, कुसुंभग-कुसुम्भकः-लट्टा। धान्यविशेषः। भग० २७४१ | पुष्पा(पुस्क)लिकापुष्पम्। प्रज्ञा० ३६१| उदगविशेषः। निशी. ५२ आ। कुहंडिया- मुद्रितः। आव. २२४। कुसुंभरागः- प्रायोगिकरागः। आ० ३८७। कुहंडे- कुहण्डः-वाणमन्तरविशेषः। प्रज्ञा० ९५१ कुसुंभवणे- कुसुम्भवनम्। भग० ३६| कुह-कुहः-वृक्षः। दशवै०१७ कुसुंभिओ-कुशुम्भिका, अतसी। ओघ० १४६। कुहए- कुहकं, इन्द्रजालादि। दशवै० २५४। कुसुण-कुशनं, दध्यादि। पिण्ड० १६५, ९० कुहक-कुहकं, परेषां विस्मयोत्पादनप्रयोगः। प्रश्न.१०९| कुसुणियं-कुसुणितं-करम्बादिरूपतया कृतम्। पिण्ड० कुतूहलम्। उत्त०६५६। ९११ कुहकपरा-क्षेपकरणम्। निशी० ७ आ। कुसुम-पाटलिपुत्राभिधं नगरम्। आव० २९४१ कुहण-भूमिस्फोटकविशेषः। आचा० ५७। एक एवालापको कुस्मसमूहः। जीवा० २५५। कुसमजातम्। जीवा० २५६) द्रष्टव्यः, तद्योनिकानामपरेषामभावादिति भावः। सूत्र. अविकसितः। औप. १६। ३५२। कुहणविशेषः। प्रज्ञा० ३३। कहणः-चिलातदेशवासी। कुसुमकुंडलं- धत्तूरकपुष्पसमानाकृतिकर्णाभरणं, प्रश्न. १४१ दर्भकुसुमं वा। अन्त०५१ कुहणया- कुधनता-दारिद्यभावः। क्रोधनता। प्रश्न० १०९। कुसुमघरए- कुसुमप्रायवनस्पतिगृहम्। ज्ञाता०९५१ कुहणा-कुहणाः-भूमिस्फोटकाभिधानाः ते कुसुमघरगा-कुसुमप्रकरोपचितानि गृहकाणि चाप्कायप्रभृतयः। प्रज्ञा० ३०| कुहणाकुसुमगृहकाणि। जम्बू. ४५ भूमिस्फोटाभिधानास्ते चाप्कायप्रभ-तयः। जीवा. २६| कुसुमट्टिया-कुट्टिया पुणो मट्टियाए सह कुट्टिज्जंति। कुहणा-भूमिस्फोटकविशेषः। सर्पछत्र-कादिः। उत्त. उसुमट्टिया, कुसुमट्टिया वा। निशी० ६४ । ६९ कुसुमपुर-मायापिण्डोदाहरणे सिंहस्थराजस्य नगरम्। | कुहर- पर्वतान्तरालम्। ज्ञाता०६३। जम्बू. १४४। पिण्ड० १३९। चूर्णद्वारविवरणे चन्द्रगुप्तराजधानी। कुहव्वए-कन्दविशेषः। उत्त०६९११ पिण्ड० १४३। पाटलीपुत्रमभिधीयते। निशी. १३९आ। हा-कुत्ति पुहवि तीए धारिज्जति तेणं कुहा। दशवै ६। बृह. २२७ अ। मुरुण्डस्य राजधानी। बृह० २५६ आ। | कुहाड- प्रहरणविशेषः। निशी० १०५ । मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [67] "आगम-सागर-कोषः" [२]

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200