Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
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५५६। नगरीविशेषः। उत्त०४४। दशवै०४९। तापस- कोसिओ-कौशिकनामा अश्वणिक्। आव० २२० कौशिश्रेष्ठिस्थानम्। उत्त० २८६, २८७| धनपालराजधानी। कनामा ब्राह्मणविशेषः। आव० १७१। कौशिकःविपा. ९५। पद्मप्रभजन्मभूमिः। आव १६०|
तापसपुत्रः। आव० १७६) शिक्षायोगदृष्टा-न्ते नगरी। आव०४८५
कोसिकारकीड-कोशिकारकीटः-आत्मवेष्टकः अज्ञातोदाहरणेऽजितसेनराजधानी। आव० ७००।
कीटविशेषः। प्रश्न०६१ संपइस्स उप्पत्तिट्ठाणं। निशी० ४४।
कोसिता- कौशिकाः-षडुलकादयः। स्था० ३९० कोसंबीओ-कौशाम्बीकः। आव०६३
कोसियं-कौशिकं-हस्तगोत्रम्। जम्बू. ५००। कोसकोट्ठागारकहा- कोशो-भाण्डागारं, कोष्ठागारं- | कोसियगोत्ते- कौशिकगोत्रम्। सूर्य १५०।
धन्यागारं, तत्कथा कोशकोष्ठागारकथा। स्था० २१० कोसियज्जो-कौशिकार्यः-आर्जवोदाहरणे कोसकोद्वारे-कोशकोष्ठागारं, राज्ञाः
चम्पायामुपाध्यायः। आ०७०४१ कोशकोष्ठागारसम्बन्धी-विचारः।
कोसी-नदीविशेषः। स्था० ४७७। कोशः-परिवारः। सूत्र. राजकथायाश्चतुर्थभेदः। आव० ५८१।
२७६। कोशी-प्रतिमा। उपा०२४। कोसग- कोशकः-चर्मपञ्चके चतुर्थो भेदः। स्था० २३४।। कोसेज्ज-कौशेयकं-कौशेयककारोद्भवं वस्त्रम्। प्रश्न कोशः-चर्मपञ्चके चतुर्थो भेदः। आव०६५ नखभंगरक्ष- ७१। वस्त्रम्। औप०१०। कौशेयं-त्रसरितन्तनिष्पन्नम्। कश्चर्मकोशः। बृह० १०१ अ। अंगुलीनामगुष्ठस्य वा जम्बू. १०७ वेडयकारिणो। निशी० ४३आ। वस्त्रविशेषः। छादकः स कोशकः। बृह० २२२ आ।
जम्बू० २०२ कोसयं-कोशः। आव०६२५
कोसेयं- कौसेयं-त्रसरितन्तुनिष्पन्नं वस्त्रम्। जीवा० २६९। कोसल-देशविशेषः। उत्त. ३७५ भग०६८० कोशलकः- | कोहंडा- कूष्माण्डाः-पुंस्फलाः। अनुयो० १९२। कोशलदेशोत्पन्न। व्यव० २१९ आ।
कोह- कारणेऽकारणे वाऽतिक्रूराध्यवसायः क्रोधः। आचा० कोसलग-कोशलकः-कोशलदेशीयः। पिण्ड. १६७
१९१। तत्रात्मीयोपघातकारिणी क्रोधकर्मविपाकोदयात् कोसलपुरं-सुमतिनाथजन्मभूमिः। आव० १६०
क्रोधः। आचा० १७० क्रोधनं-क्रध्यति वा येन सः क्रोधःकोसला-कोशला-अयोध्या, तज्जनपदोऽपि कोशला। क्रोधमोहनीयसम्पाद्यो जीवस्य परिणतिविशेषः भग० ३१७। अयोध्या। जम्बू० १३६। कोशला
क्रोधमोहनीय-कर्मैव। स्था० १९३| अप्रीतिलक्षणः। उत्त. जनपदविशेषः। ज्ञाता०१३० प्रज्ञा० ५५ कोशला- २६१। क्रोधः-अप्रीतिपरिणामः। जीवा० १५। क्रोधः। आव. अचलगणधरजन्म-भूमिः आव० २५५
८४८। क्रोधः-सप्तम उत्पादनदोषः। पिण्ड० १२१। षष्ठं कोसलाउरे-कोशलपुरे-मायोदाहरणे नगरं, यत्र पूर्वभवे पापस्था-नकम्। ज्ञाता०७५ कोथः-कथितत्वं शटितं वा। धनपतिधनावहभार्ये नन्दनेभ्यस्य
भग०१९८1 श्रीमतिकान्तिमतिदुहितरौ जाते। आव० ३९४।
कोहणिस्सिया-क्रोधनिःसृता-क्रोधान्निःसृता, कोसलिए-कोशलदेशोत्पन्नत्वात्। कौशलिकः। स्था. क्रोधादविनिर्ग-तेति। प्रज्ञा० २५६। ३२७। कोशलायां-अयोध्यायां भवः कौशलिकः। जम्बू | कोहण- क्रोधनः-सकृत् क्रुद्धोऽत्यन्तक्रुद्धो भवति। १३६। कोशलदेशे भवः कौशलिकः। सम० ९०
नवममस-माधिस्थानम्। सम० ३७। क्रोधनः-यः कोसलियं-कौशलिकं-देशविशेषः। उत्त० ३५४।
सकृत्क्रुद्धोऽत्यन्त-क्रुद्धो वा भवेत्। कोसा-कोशा, पाटलिपुत्रे गणिका। आव० ४२७। वेश्या, नवममसमाधिस्थानम्। आव० ३५३| यस्या गृहे स्थूलभद्रो द्वादशवर्षं यावत् स्थितः। आव० कोहनिस्सिया-क्रोधनिसृता-मषाभाषाभेदः। दशवै० २०९।
कोहविवेग-क्रोधविवेकः-कोपत्यागः, तस्य कोसातकी-तिक्तरसे दृष्टान्तः। उत्त०६७६|
दुरन्ततादिपरि-भावनेनोदयनिरोधः। भग०७२७। कोसि-कोशी-प्रतिमा। ज्ञाता०५७।
कोहसन्ना-क्रोधोदयादावेशगर्भा
६९५
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [२]

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