Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
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किट्टविशेषः। बृह. २६८ आ। मद्याधःकर्दमः। आचा० ३४८१ खोलपक्कस-मद्यकीट्टः। निशी० ६६ आ। खोला-खोलाः, हेरिकाः, गुप्तचराः। राज्ञा नियुक्ताः। पिण्ड०४९। सीसखोला। बृह. १०२ अ। गोरसभावितानि पोतानि। बृह. १०० आ। बृह. १२६ अ। गोरस-भाविता पेत्ता। निशी. १८ आ। खोल्लं-कोत्थरं। निशी. १३३। देशीशब्दत्त्वात् कोटरम्। बृह. १५२ आ। खोसियं-खोसितं-जीर्णप्रायम्। पिण्ड. १००० ख्यातं-स्वसंवेदनतः प्रसिद्धम्। उत्त० २५८1 ख्यातसत्यवृत्ति- प्रसिद्धसत्यवृतिः। नन्दी० १५६।
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हाराः भग०३०९। खोभ-क्षोभः संभ्रमः। आव०७८४१ खोभण-क्षोभः-वेदोदयरूपः। पिण्ड० १६० खोभिअ-क्षोभितः-स्वस्थानाच्चालितः। जम्बू. ३७। खोभिए-क्षोभः आकस्मिकः संत्रासः। ओघ. १९। खोभितो-क्षोभितः। उत्त. १६८१ खोभित्तए-क्षोभयित्-एतान्येवं परिपालयाभ्युतोज्झामीति क्षोभविषयान् कर्तुं क्षोभयितुं संशयोत्पादनतः। ज्ञाता० १३४॥ खोभियं-क्षोभितं-स्वस्थानाच्चालितः। जीवा० १९२१ खोभेति-क्षोभयति, ईषद्भूमिमत्कीय तत्प्रवेशनेन।
ज्ञाता०९४१ खोम-क्षौम-कार्पासिकम्। जीवा० २६९। जीवा० २३२१ देववस्त्रम्। आव० १८० दुकूलं, कासिकं वस्त्रम्, जम्बू. ५५। क्षौम, सामान्यतः कार्पासिकं अतसीमयम्। जम्बू. १०७ खोमजुअलं-क्षौमयुगलम्। आव० १२४।
काासिकवस्त्रम्। प्रश्न० १३४ खोमजुगलं-क्षौमयुगलम्। आव० ५६२। खोमजुयलं-कार्पासिकवस्त्रयुगलम्। उपा०५) क्षोमयुगलम्। ज्ञाता० १२८१ खोमिते- कार्पासिकाम्। स्था० १३८१ खोमिय-क्षौमिकं, सामान्यकार्पासिकम्। आचा० ३९४१ क्षौमिकं-कार्पासिकं, वृक्षेभ्यो निर्गतं वा, अतसीमयं वा। प्रश्न. ७१। दुकूलं-कार्पासिकमतसीमयं वा वस्त्रम्। सूर्य. २९३। कार्पासिकम्। आचा० २९२। खोमियकप्पाय-क्षौमिककार्पासः। स्था० ३३९। खोयरसघडए-इक्षुरसघटः। आव० १४५) खोयरसो-क्षोदरसः-इक्षुरसः। जीवा० ३६५, ३५१। खोयवरो-क्षोदवरः, दवीपविशेषः। जीवा० ३५५। खोरए-क्षोरकं-तापसभाजनम्। दशवै० ५६। क्षौरकम्।
आव०६२५१ खोरगं- द्रव्यभृतं भाजनम्। निशी० १३६ आ। खोरयं- रूप्यमयमहाप्रमाणभाजनविशेषः। नन्दी. १५९। खोरा-भुजपरिसर्पविशेषः। प्रज्ञा०४६। खोरुसताए- विरुद्धराज्यत्वेन। निशी. १०आ। खोल- राजपुरुषविशेषाः। आव० ८२१। मद्यस्य
गंग- गङ्ग-यस्माद्दवैक्रिया उत्पन्ना स आचार्यः। आव. ३१२॥ वैक्रियनिह्नवगुरुर्धनगुप्तशिष्यः। आव० ३१७॥ धनगुप्तस्य शिष्यः। वैक्रियविषयो निह्नवः, पञ्चमो निह्नवः। स्था० ४१०। गाङ्गः-पुरुषपुण्डरीकधर्माचार्यः।
आव० १६३। गङ्गाचार्यः। उत्त. १५३| गंगदत्त-मुनिविशेषः। भग० ७०६। निर० २२, ३६। षष्ठबलदेववासुदेवयोः पूर्वभविको धर्माचार्यः। सम० १५३। हस्तिनापुरे गृहपतिः। भग० ७०७। गङ्गादत्तः। कृष्णवासुदेव-पूर्वभवः। सम० १५३। आव० १६३। मंकातीगाहावतीए जेट्टपुत्तो। अन्त० १८१ वासुदेवपूर्वभवः। आव० ३५८१ रागान्निदानकृत्। भक्त०
गंगदत्ता- गङ्गदत्ता। सागरदत्तसार्थवाहपत्नी। विपा.
७४ गंगदेवो- गङ्गदेवः-धननप्तशिष्य आचार्यः। उत्त. १६५ गंगा- गङ्गा नदीविशेषः, यत्र नन्दो नाम नाविकः। आव. ३८९, १४३। नदीविशेषः। ज्ञाता०६४। स्था०७५ हिमववर्षधरपर्वतस्य पञ्चमं कूटम्। स्था० ७१। गङ्गा
वैक्रियोत्पत्तिस्थानम्। विशे० ९३४१ | गंगाकुंड-यत्र हिमवतो गङ्गा निपतति तद्गङ्गाकुण्डम्।
जम्बू० ८७। कुण्डविशेषः। नन्दी० २२८१ गंगाकूलं- गङ्गाकूलं-गङ्गातटम्। उत्त० १२९। गंगादीव- गङ्गाद्वीप इति नाम्ना द्वीपः। जम्बू० २९३। | गंगादेवोकूडे- गङ्गादेवीकूटम्। जम्बू० २९६।
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [२]

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