Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 79
________________ (Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-२) [Type text] कोलियापुडिगो-मक्कडसंताणओ। निशी० २५५आ। कोविओ-कोविदः-संसारविमखप्रज्ञतया पण्डितः। पिण्ड. कोलणं- कारुण्यम्। निशी० ५८ आ। ७२ कोलेज्जाओ-अधोवृत्तखाताकाराद् असंयतः। आचा० कोवियप्पा-कोविदात्मा-कोविदः-लब्धशास्त्रपरमार्थ ३४४१ आत्माऽस्येति। उत्त०४२० कोल्लइर-संगमस्थविरविहारभूमिः। निशी० ९५आ। कोविया-खुडिया-नाशिता। निशी. १०८ आ। कोल्लकिरं-क्रीडनधात्रीदोष विवरणे नगरम्। पिण्ड. कोशलजनपदः- कोशलजनपदोऽप्यभिधीयते यत्र १२५ अयोध्या-नगरीति। ज्ञाता० १२५ पिण्ड० ९८। कोल्लगाणुगो-जो रयहरणणिसेज्जाए कोशला- देशविशेषः। पिण्ड० ९८१ उवग्गाहियपादपुंछणे वा ठितो वा एति चिट्ठति वा। कोशातकी-तिक्तरसपरिणता। प्रज्ञा० १०॥ वल्लीविशेषः। निशी० १३७ । आचा० ३० कोल्लयग्गामे- वर्द्धमानजिनस्य प्रथमं पारणकस्थानम्। | कोशिकारः-कीटविशेषः। आचा०७१। आव० १४६। कोष्ठ-लक्षणहीनम्। अनुयो० १०२। वाससमुदायः। भग कोल्लयर-कुल्लयरं-नगरविशेषः। उत्त. १०८1 ७१३| धान्यपल्यः। उत्त० ३५१। कोल्लर- हस्तिन उपरि कोल्लररूपा 'गेल्लि' या मानुषं | कोष्ठबुद्धिता- ऋद्धिविशेषः। स्था० ३३२। गीलतीव। भग. १८७, ३९९। कोसं-कोष-भाण्डागारं चर्मलताद्यनेकवस्तुरूपम्। उत्त. कोल्लाए-सन्निवेशः। उपा०२, १४। सन्निवेशः। ३१६ महावीरस्वा-मिविहारभूमिः। भग०६६२१ कोस-सरावं। दशवै. ९९। अहिं रयणादियं दव्वं सो। कोल्लाकसन्निवेशं- वर्द्धमानजिनस्य विहारभूमिः। आव० कोशः। निशी. ३४ आ। कोशः-आश्रयः। प्रश्न०६४। २००१ समुदायो। निशी० ६२आ। क्रोशः-गव्यूतम्। उत्त०६८६) कोल्लाग-कोल्लकः-सन्निवेशः। कोशः-वारकादिभाजनम्। सूत्र. ११८ महावीरस्वामिविहारभूमिः। आव. १८८1 कोसंब- एकास्थिकवृक्षविशेषः। भग० ७०५, ८०३। प्रज्ञा. कोल्लागसन्निवेस-कोल्लागसन्निवेशः ३११ व्यक्तसुधर्मगणधरयोर्ज-न्मभूमिः। आव० २५५/ कोसंबवण-कौशाम्बवनं-कृष्णस्य कालकरणस्थानम्। कोल्लुकपरंपर- महाराष्ट्रसिद्धकोल्लुकचक्रपरंपरन्यायः। | अन्त०१६) बृह. ९० आ। कोसंबाहारं-आर्यसुहस्तिविहारभूमिः। कोल्लगा-सिगाला। निशी. १७५अ। द्रमकदीक्षास्थानम्। निशी. २४३ अ। कोल्हुकं- इक्षुयन्त्रम्। बृह. १९९आ। कोसंबि-कौशाम्बी- वर्धमानस्वामिविहारभूमिः। भग. कोल्हुगाणूगे- क्रोष्टुकानुगः। आचार्याणां तृतीया उपमा। ५५६। आव. २२१ शतानीकराजधानी। भग० ५५६। विपा. भिक्षोः तृतीया उपमा। व्यव० १२१ आ। ६८ आव० २२ कोव-कोपः-क्रोधोदयात्स्वभावाच्चलनमात्रम्। भग० कोसंबिय-कोशाम्बी, अज्ञातोदाहरणेऽजितसेनराजधानी। ५७२ आव०६९९ कोवघर- कोपगृहम्। विपा० ८३। कोसंबी- कौशाम्बी-नगरीविशेषः। उत्त. २१४, १९३, ३७९। कोवडिओ-केतराती। दीणारो। निशी० ३३० । यज्ञदत्तद्विजस्थानम्। उत्त० ११११ वत्सदेशराजकोवपिंड-कोपपिण्डः-कोहप्रसादात पिंडं लभते स धानी। बृह. १६७ आ। द्रमकप्रव्रज्यास्थानम्। बृह० १५३ कोपपिण्डः। निशी. १०० अ। आ। वर्द्धमानस्वामिपारणकस्थानम्। आव० २२५१ कोविए- कोविदः-पण्डितः। उत्त० ४८२। लब्धशास्त्रपर- दुर्गन्धायाः उत्पत्तिस्थानम्। उत्त० १२३। नगरीविशेषः। मार्थः। उत्त० ४१९ ज्ञाता० २५३। वत्थजणवए णगरी। निशी. १६अ। भग. मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [79] "आगम-सागर-कोषः" [२]

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