Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-२)
[Type text] कुमारमुत्ती-कुमारभुक्तिः । आव० ३६६। निशी० २४३। ६६६ आव० २१३ कुमारसमण-कुमारश्चासावपरिणीततया श्रमणश्च | कुम्मारगाम- कूर्मारग्रामः वर्धमानस्वामिविहारभूमिः। तपस्वीरिव तया कुमारश्रवणः। उत्त०४९८५
भग०६६४। आव० २२२। कुमारामच्च-कुमारामात्यः। आव० ६७९, ४३६ नन्दी. कुम्मासा- कुल्माषाः सिद्धभाषाः, यवभाषा इत्यन्ये। १६३ दश. ५४। कमारामात्यः, असत्या
दशवै. १८१। अर्द्धस्विन्ना मदगादयो माषा इत्यन्ये। सम्बद्धप्रलापित्वे उदाहरणम्। आव० ८३९।
भग०६६८ कल्माषाः-राजमाषाः। उत्त० २९५। कुपितःकुमारामच्चतं-कुमारामात्यत्वम्। उत्त० १०५।
मनसा कोप-वान्। विपा०५३। माषविशेषाः। आचा० ३१३। कुमारायं-कुमाराकं-सन्निवेशः।
कुल्माषाः-उडदाः। पिण्ड० १६३ माषाः, ईषत्स्विन्ना वर्धमानस्वामिविहारभूमिः। आव. २०२।
मुद्गादयः। प्रश्न. १५३। गोन्नद्वितीयनाम। आव० कुमारिए-सौकरिकः। बृह. ५१ अ। मारेति तं कमारिया। ८५४१ निशी. १०७ ।
कुम्मुण्णया- कूर्मपृष्ठमिवोन्नता कूर्मोन्नता, अर्हदादीनां कुमारिया-जे कुमारेण मारेति ते। निशी. १०७ आ। मातृयोनिः। प्रज्ञा० २२७ कुमारोलग्गएहि-कुमारावलगकैः। उत्त० ११५ कुम्मुन्नये- कूर्मः-कच्छपः तद्वदुन्नता कूर्मोन्नता। कुमुअं- कुमुदं गद्दर्भकम्। दशवै० १८५) मुकुदं
स्था० १२२ चन्द्रबोध्यम्। जम्बू. ११५
कुय-कव्वं-शिथिलम्। व्यव. २९७ आ। कुमुतं- कुमुदं-चन्द्रविकाश्यं पद्मम्। प्रश्न० ८४। कुयवाय- वल्लीविशेषः। प्रज्ञा० ३२१ कुमुदं-सहस्रारकल्पे विमानविशेषः। सम० ३३। कुरंग-द्विखुरविशेषः। प्रज्ञा०४५। मृगभेदः आनतकल्पे विमानविशेषः। सम० ३५। कुम्दः- श्रृङ्गवर्णादिविशेषः। जम्बू० १२४। कुरङ्गः मृगः। प्रश्न. चन्द्रबोध्यम्। भग० ५२०| कुमुदः दिग्हस्तिकूटनाम। ७ द्विखुरश्चतुष्पदवि-शेषः। जीवा० ३८1 जम्बू. ३६०। कुमुदो विजयः। जम्बू. ३५७।
कुरंटओ-संदंशकः पुतपृष्टजान्वाच्छादि। बृह. २३७ आ। जलरुहविशेषः। प्रज्ञा० ३३
कुरच्छा(त्था)-देवजाणरहो वा विविधा संवहणा गच्छंति कुमुदगुम्म-आनतकल्पे विमानविशेषः। सम० ३५ सेसा करच्छा(त्था)। निशी० ७१ आ। कुमुदप्पभा-कुमुदप्रभा, पुष्करिणीनाम। जम्बू. ३३५१ कुरज्ज-कराज्यं भिल्लादिराज्यम्। जम्बू० २७७। कुमुदा-कुमुदा पुष्करिणीनाम। जम्बू. ३३५१ कुरणं- राजकीयमन्यदीयं वाची तं। व्यव० १७७ आ। अञ्जनकपर्वते पुष्करिणी। स्था० २३०
कुरत्था-कुरथ्या-कुमार्गः। आ०७४०| कुमुदुगं-धान्यविशेषः। सूत्र० ३०९।
कररी-पक्षिणी। उत्त०४८० कुमुयं- कुमुदं चन्द्रविकासि। जीवा० १७७ १९१। कुमुदः। कुररो-कुररः उत्क्रोशः। प्रश्न. २१। राज०८ चन्द्रबोद्यादीनि। ज्ञाता० ९८५
कुरल- लोमपक्षिविशेषः। प्रज्ञा० ४९। जीवा०४१। कुमुयदल-कुमुददल। प्रज्ञा० ३६११
कुराईण-कुराजानः-प्रत्यन्तराजानः। आचा० ३३४| कुमुया- महाविदेहेषु राजधानीविशेषः। स्था० ८०। कुमुदा- कुराया- कुत्थितो राया, पच्चंतणिवो। निशी. २७७ पञ्चिमदिग्भाव्यञ्जनपर्वतस्यापरस्यां पुष्करिणी। करिणमि-महति अरण्ये। ओघ. १५८ जीवा० ३६४१
कुरु-जनपदविशेषः। प्रज्ञा० ५५ कुरुजनपदो यत्र हस्तिकुमुयाई- चन्द्रविकासीनि। जम्बू. २६।
नागपुरं नगरम्। ज्ञाता० १२५१ कुम्म- कूर्मः षष्ठाङ्गे चतुर्थं ज्ञातम्। आव०६५३। सम० | कुरुआ-कुरुकुचा-पादप्रक्षालनादिका। ओघ० ८२। ३६। उत्त०६९४। ज्ञाता०९। कच्छाः । ज्ञाता०९।। कुरुए-कुरुकम्। सम०७१| सावोरूपमा। आ०६५३। कूर्मकः-कच्छपः। प्रश्न. ७० | कुरुकुचा-पादप्रक्षालनाचमनरूपा। ओघ० १२५ कुम्मगाम- कूर्मग्रामः-वर्धमानस्वामिविहारभूमिः। भग० | कुरुकुय-अचित्तपुढवी। निशी० १५९ आ। कुरुकुच।
मुनि दीपरत्नसागरजी रचित
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"आगम-सागर-कोषः" [२]

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