Book Title: Agam Sagar Kosh Part 02
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 41
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-२) [Type text] कातिते-कायिक-शारीरिकम। इडापिङ्गलादि कलासु दृष्टम-द्भुतदर्शनमाश्रित्य श्रुतं चानुभूतं च प्राणतत्त्वम्। स्था०४५२। संस्तवः परिचयश्चेति कामकथा। दशवै० १०९, १०७ कादंबक-कादम्बाः , हंसविशेषाः। प्रश्न.1 कामकामे-कामकामः-कामेन-स्वेच्छया कामोकादम्बा- गन्धर्वभेदविशेषः। प्रज्ञा०७०| मैथुनसेवा यस्य सः-अनियतकाम इति। प्रज्ञा. ९६| कादूसणिया-कम्-आत्मानं दूषयति कामकूडं- कामकूटं-विमानविशेषः। जीवा० १३८५ तमस्कायपरिणामेन परिणमनात् कदूषणा सैव कामगद्दहो-कामगर्दभः-मैथने गर्दभ इवात्यन्तासक्तो दूषणिका। भग. २६९। जनः। पिण्ड० १३११ काननं- अरण्यम्। दशवै० १४७ कामगम-कामगमः-विमानविशेषः। औप० ५२। काननद्वीपः- जलपत्तनम्। उत्त०६०५। कामगमः-स्वेच्छाचारी। प्रज्ञा. ९६। कामगमःकापालिक- दृष्टान्तविशेषः। निशी० १८० अ। यानविमानविकर्वको देवविशेषः। जम्बू. ४०५। चरगविसेसो। निशी० ३१ अ। कामगुण-काम्यन्त इति कामाःकापालिका-अस्थिका। व्यव. २०६अ। शब्दरूपरसगन्धस्पर्शास्त एव कापिशायितं-मदयविशेषः। जीवा. २६५ स्वस्वरूपगुणबन्धेहेतुत्वाद् गुणाः कामगुणाः। आव. कापिशायणं- कापिशयनं-मदयविशेषः। जीवा० ३५१। ६१५| कामस्य-मदनाभिलाषस्य अभिलाषमात्रस्य वा कापुरिसा-कापुरुषाः, कुत्सितनराः। ज्ञाता०५० सम्पादका गुणाः-धर्माः द्रलानां, काम्यन्त इति कापोती-भारकायः, क्षीरभृतकम्भवयोपेता कापोती कामाः ते च ते गुणाश्चेति वा कामग्णाः । स्था० २९१। भण्यते। आव ७७० शब्दादयः। प्रश्न. ९७। काम्यन्ते-अभिलाषन्ते इति काम- शब्दरूपगन्धाः। आव०८२५। काम्यमानत्वात् कामगुणाः, कामस्य वा मदनस्योद्दीपका गुणाः कामाः-मनोज्ञशब्दादयः। उत्त० ३१८ विषयाः। उत्त. कामगुणाः शब्दादय इति। सम० १११ कामगुणम्। आव० २७७। स्त्रीसंगः। उत्त० २४३। मैथुनसेवा। जीवा० १७३। २००। कामगुणः। मकरकेतुकार्यम्। अब्रह्मणस्त्रिंशत्तमं मनोज्ञशब्दादिकः। उत्त० १८८1 लोमपक्षिविशेषः। जीवा० नाम। प्रश्न०६६। आचा. ९९। भग०६६४। ४१। इच्छानङ्गरूपः। कामः। आचा० ८९। इच्छाकामः- कामजलं-स्नानपीढम्। आचा० ३९७ ण्हाणपीढं। निशी. अप्राप्तवस्तुकाक्षारूपः। उत्त०६६४। स्वेच्छा। प्रज्ञा० | ८३आ। ९६। इच्छा। आव० ३६५ रोगः। दशवै. ८६। | कामजाए-मनोज्ञशब्दादीनां प्रकारः समूहो वा। उत्त. वाञ्छामात्रम। भग०८६। मदनाभिलाषः। स्था० २९१।। २९१। इच्छा-अनुमतो वा। निशी० ७९। अभिधारियो-अनमयो | कामज्झयं- कामध्वज, विमानविशेषः। जीवा० १३८१ वा। निशी०१४ | अवधृतार्थे द्रष्टव्यः। निशी. २३३ अ० | कामज्झया-कामध्वजा-वणिग्ग्रामे गणिका। विपा०४५ कामं अनुमतम्। आव० ५२७। सम्मतम्। पिण्ड०४५ | कामइढितगणे- महावीरस्य नवगणेष सप्तमः। स्था० अभ्य-पगमः। सूत्र. ५३। विमानविशेषः। जीवा० १३८1 ४५१ तवेच्छया। आव० ४०३। कामशब्दः-मकरध्वजे अवधृतौ | कामत्थिआ-कामार्थिनः मनोज्ञशब्दरूपार्थिनः। जम्बू. च। व्यव० १४५ । कामौ-शब्दरूपे। उपा०८। कामः- २६७। शब्दरूपार्थिनः ज्ञाता० ५८१ इच्छा-मदनभे-दभिन्नो विषयः। आव०६६२। कामदेव-उपासकदशायां द्वितीयमध्ययनम्। उपा० १। कामकंतं-कामकान्तं-विमानविशेषः। जीवा० १३८ येन श्रुते सामायिकमवाप्तम्। आव० ३४७। कामकमा कामः-अभिलाषस्तेन क्रामन्तीति कामध्वजगणिका- गणिकाविशेषः। स्था० ५०७। कामक्रमाः। उत्त०४१० कामप्पभं- कामप्रभं विमानविशेषः। जीवा० १३८1 कामकहा- कामकथा-रूपं सन्दरं, वयश्चोदग्रं, वेषः | कामफासे-कामस्पर्शः-अष्टाशीतौ ग्रहे उज्वलः, दाक्षिण्यं, मार्दवं, शिक्षितं च विषयेष, शिक्षा च | सप्तचत्वारिंशत्तमः। जम्ब०५३५। मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [41] "आगम-सागर-कोषः" [२]

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