Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे सम्प्रति-उक्तमेबार्थं लोकहिताय प्रकारान्तरेण दर्शयितुं द्वादशद्वारमाह-'जंबुद्दीवेणं' इत्यादि. 'जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे' जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे सर्वद्वीपमध्य जम्बूद्वीपे इत्यर्थः 'सरियाणं' सूर्ययोः 'कि तीते खेते किरिया कज्जइ' किमतीते क्षेत्रे क्रिया क्रियते, द्वयोः सूर्ययोः या अवभासनादिका क्रिया सा क्रियते-भवतीत्यर्थः किम्बा-'पडुप्पण्णे खेते किरिया कज्जई' प्रत्युत्पन्ने वर्तमाने क्षेत्र क्रिया क्रियते भवति यद्वा 'अणागए खेते किरिया कज्जाइ' अनागते क्षेत्रे क्रिया क्रियते इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'णो तीए खेते किरिया कजइ' नो अतीते क्षेत्रे सूर्ययोः क्रिया क्रियते, अतीत भी प्रतीति कोटि में-देखने में आजाती है । प्रकाश ताप, और प्रभास पदों स्पृष्ट आदि पदका निवेश करके आलाप प्रकार अपने आपही उद्भावित करलेना चाहिये क्योंकि विस्तार भय से हम उसे यहां नहीं लिख रहे हैं। ११वां द्वार समाप्त
अय इसी कथित अर्थ को लोकहित के निमित प्रकारान्तर से प्रकट करने के लिये सूत्रकार १२ वें द्वार का कथन करते हैं।
इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है 'जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे मूरियाणं कितीते खेते किरिया कज्जई' हे भदन्त ! जम्बूद्वीप नामके द्वीप में इन दो सूर्यो की अवभासनादि क्रिया होती है सो क्या वह अतीत क्षेत्र में उनके द्वारा की जातो है ? या 'पडुप्पण्णे खेते किरिया कज्जइ' प्रत्युत्पन्न क्षेत्र में वर्तमान में उनके द्वारा वह की जाती है? या 'आणागए खेत्ते किरिया कज्जइ' अनागत क्षेत्र में वह उनके द्वारा की जाती है ? इन प्रश्नों के उत्तर में प्रभु गौतमस्वामी से कहते हैं'गोयमाणो तीए खेते किरिया कन्जई' हे गौतम! उन दोनों सूर्यो द्वारा जो अव. भासनादि क्रिया की जाती है वह अतीत क्षेत्र में नहीं की जाती है क्योंकि अतीत
છે. પ્રકાશ, તાપ અને પ્રભાસ પદો સ્પષ્ટ વગેરે પદને નિર્મિત કરીને આલાપ પ્રકાર પિતાની મેળે જ ઉદ્દભવિત કરી લેવું જોઈએ. કેમકે વિસ્તારભયથી અમે અત્રે લખતા નથી.
એકાદશદ્વાર સમાપ્ત હવે એજ કથિત અર્થને લોકહિત માટે પ્રકારાન્તરથી પ્રકટ કરવા માટે સૂત્રકાર ૧૨ મા દ્વારનું કથન કરે છે
20 १२ मा वाम गौतमस्वामी प्रभुने मतने प्रश्न ४ छ-'जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सरियाणं किं तीते खेत्ते किरिया कज्जइ' 3 लत ! दी५ नाम दीपमां से ये સની જે અવભાસનાદિ કિયા થાય છે, તે શું અતીત ક્ષેત્રમાં તેમના વડે કરવામાં આવે छ. 424। 'पडुप्पण्णे खेते किरिया कज्जइ' प्रत्युत्पन्न क्षेत्रमा वतभान क्षेत्रमा तमना पडे ते ४२वाभा मा छ १ मा 'अणागए खेत्ते किरिया कज्जई' मनात क्षेत्रमा त तमना बत १२वामा भाव छ ? यो प्रश्नोना सभा प्रभु गौतभस्वामी ४३ छ-'गोयमा! णो तीए खेते किरिया कज्जईहे गौतम! ते मे सूर्यो रे भqमासना या ४२वामा
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર