Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 396
________________ રૂ૮૪ __जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे एककलक्षणेन राशिना पश्चकल्पो मध्यराशि गुण्यते जाताः पश्चैव, तेषां चतुर्विंशत्यधिकेन शतेन भागो हियते लब्धाः पञ्चचतुर्विंशत्यधिकशतभागाः, ततो नक्षत्रानयनाय, एते अष्टादशभिः शतैः त्रिंशदधिकैः सप्तषष्टि भागरूपै गुणयित्वा इति गुणाकारराशिच्छेदराश्यो विकेनापवर्तना, जातो गुणाकारराशिः नवशतानि पञ्चदशाधिकानि, ९१५, छेदराशि द्वषिष्टिः, तत्र पश्चनवभिः शतैः पञ्चदशोत्तरै गुण्यन्ते जातानि पश्चचत्वारिंशच्छतानि पञ्चसप्तत्यधिकानि ४५७५, छेदाशि षष्टिलक्षणः सप्तषष्टया गुण्यते जातानि एकचत्वारिंशच्छतानि चतुः पश्चाशदधिकानि ४१५४, तथा पुष्य नक्षत्रस्य त्रयोविंशति भागाः प्राक्तनयुगचरम पर्वाणि सूर्येण सह योग मायान्ति ते द्वाषष्टया गुण्यन्ते जातानि चतुर्दशशतानि पइविंशत्यधिकानि १४२६, तानि पूर्वकालिकपञ्चसप्तत्यधिकपश्चचत्वारिंशत् प्रमाणात शोध्यन्ते, शेषं तिष्ठति एकत्रिंशच्छतानि एकोनपश्चाशदधिकानि ३१४९; एतानि मुहूर्तानयनाथ त्रिंशता गुण्यन्ते, जातानि चतुर्नवति सहस्राणि चत्वारिशतानि सप्तत्यधिकानि ९४४७०, तेषां छेदराशिना चतुः पश्चाशदधिकैक चत्वारिंशच्छतरूपेण भागो हिय ते लब्धाविंशतिर्मुहूर्ताः शेषं तिष्ठति त्रीणि सहस्राणि द्वयशोत्यधिकानि ३०८२, एतानि द्वापष्टि गुणित करने पर ५ ही राशि आती है इसमें १२४ का भाग जाता नहीं है अतः १२४ ही बचे रहते हैं, तब नक्षत्र को लाने के लिये सप्तषष्टि के भागरूप ३० अधिक १८ सौ से इन्हें गुणित करके गुणाकार राशि और छेद राशि की द्विक से अपवर्तना करने पर गुणाकार राशि ९१५ होती है और छेद्रराशि द्वाषष्टिरूप है ९१५ द्वारा ५ को गुणित करने पर ४५७५ आते हैं छेदराशि ६२ भाग रूप है इसे ६७ से गुणित करने पर ४१५४ आते हैं पुष्यनक्षत्र के २३ भाग जो कि प्राक्तनयुग के चरम पर्व में सूर्य के साथ सम्बन्धित होते हैं वे ६२ से गुणित होने पर १४२६ होते हैं ये ४५७५ में घटाये जाने पर ३१४९ शेष रहते हैं अब मुहर्स बनाने के लिये इन्हें ३० से गुणित करने पर ९४४७० होते हैं इनमें छेद. राशि ४१५४ का भाग देने पर बीस मुहर्त आते हैं और बाकी में ३०८२ बचे કરવી જોઈએ. આમાં અન્તની ૧ રાશિથી મધની રાશિ અને ગુણવાથી ૫ રાશિ જ આવે છે એમાં ૧૨૪ને ભાગ લાગતું નથી એટલે ૧૨૪ જ વધેલાં રહે છે હવે નક્ષત્રને લાવવા માટે સપ્તષષ્ટિના ભાગરૂપે ૩૦ અધિક ૧૮ સેથી એને ગુણીને ગુણાકાર રાશિ અને છેદ રાશિમાં દ્રિકથી અપવતના કરવાથી ગુણાકાર રાશિ ૯૧પ થાય છે અને છેદરાશિ બાસઠ રૂપ છે. ૮૧પ વડે ૫ ને ગુણવાથી ૪૫૭૫ આવે છે. છેદરાશિ ૬૨ ભાગરૂપ છે આને ૬૭ થી ગુણવાથી ૪૧૫૪ આવે છે. પુષ્ય નક્ષત્રને ૨૩ ભાગ કે જે યુગના ચરમ પર્વમાં સૂર્યની સાથે સમ્બન્ધિત હોય છે તે ૬૨ થી ગુણવાથી ૧૪૨૬ થાય છે જે ૪૫૭૫માંથી ઓછા કરવાથી ૩૧૪૯ શેષ રહે છે હવે મુહર્ત બનાવવા માટે આ સંખ્યાને ૩૦ થી ગુણવાથી ૯૪૪૭૦ આવશે અને છેદરાશિ ૪૧૫૪ થી ભાગીએ તે ૨૦ મુહૂર્ત જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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