Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 556
________________ ५४४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे प्रज्ञापयति, एवं प्ररूपयति जम्बूद्वीप प्रज्ञप्तिनामेति आर्यः। अध्ययनमर्थ च हेतुं च प्रश्नं च कारणं च व्याकरणं च भूयो भूय उपदर्शयतीति ब्रवीमि ॥ सू० ३४ ॥ टीका-‘से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' तत्केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते जम्बूद्वीपो द्वीपः, हे भदन्त ! एतस्य द्वीपस्य जम्बूद्वीप इतिनामकरणे को हेतु रितिप्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जंबुद्दीवेणं दीवे जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे 'तत्थर देसे' तत्र तत्र देशे 'तहि तर्हि तत्र तत्र प्रदेशे 'बहवे' बहवोऽने के 'जंबूक्खा ' जम्बूवृक्षाः एतन्नामकवनस्पतिविशेषा एकैकरूपा विरलस्थितत्वात् 'जंबूवणा' बहूनि जम्बूवनानि जम्बूवृक्षा एव समूहमावेन स्थिता विद्यमाना अविरलस्थितत्वात्, एकजातीयवृक्षसमुदायोवनमिति, 'जंबूवणसंडा' जम्बूवनषण्डाः विजातीयवृक्षसंमिलिताः जम्बूवृक्षसमूहाः विभिन्नजातीय वृक्षसमुदायो वनषण्ड इति, तत्रापि जम्बूवृक्षाणामेव प्राधान्यम् इतर वृक्षाणां तु गौणत्वमेव अन्यथा इतरवृक्षाणां जम्बूद्वीपपदप्रवृत्तिनिमित्तत्वेऽसंगत्यमेव स्यादिति ते जम्बूवृक्षाः कीदृशास्तत्राह-'णिचं' इत्यादि, 'णिचं कुसुमिया' नित्यम्-सर्वकालं कुसुमिता:___ 'से केणढणं भंते ! एवं बुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' इत्यादि । टीकार्थ-इस सूत्रद्वारा गौतमस्वामीने प्रभु से ऐसा पूछा है-'से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे' हे भदन्त ! आप ऐसा किस कारण से कहते हैं कि यह जंबूद्वीप नामका द्वीप है ? अर्थातू इस पर्वतविशेष का नाम जम्बूद्वीप ऐसा किस कारण से कहा गया है ? इस के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! जंघुद्दीवेणं दीवे तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे जंबुरुक्खा' हे गौतम ! इस जम्बूद्वीप नाम के द्वीपमें उस उस देश में उस उस प्रदेश में अनेक जम्बुवृक्ष इस नामके बनस्पति विशेष, 'जम्बूवणा' अनेक जम्बूवृक्षों के पास पासमें रहे, हुए समूहरूप वन, एवं 'जंबू वण संडा' बिजातीय वृक्षसमूह से संमिलित जम्बूवृक्षोंके हैं,एक जातीयवाले वृक्षों का समुदाय जहां होता है उसका नाम वन है और विजातीय वृक्षोंसे संमिलित समुदाय जहां होता है उसका नाम वनषण्ड, है, ये सब जम्बूवृक्ष 'णिच्चं कुसु. 'से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' त्यादि At-1 सूत्र द्वारा गौतभस्वामी प्रभुने २॥ प्रमाणे पूछयु छ-'से केणटेणं भते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' Mta ! मा५ मे शाारणे हे। छ। 3 मायूદ્વીપ નામને દ્વીપ છે? અર્થાત્ આ પર્વત વિશેષનું નામ જબૂદ્વીપ એવું કયા કારણે पामा माव्यु ? साना वामभ प्रभु हे -'गोयमा ! जंबुद्दीवेणं दीवे तत्थ २ देसे. तहिं २ बहवे जंबुरुक्खा' गौतम ! मापूदी नामना द्वीपमा तेतहेशमा तेते प्रदेशमा भने भूपृक्ष २॥ नामना पति विशेष, 'जम्बूवणा' भने पानी पासे पासे २२सा समू१३५ पन तथा 'जंबूवणसंडा' विनतीय वृक्षसमूहथी समिति જબૂવૃક્ષેના છે, એક જાતીવાળા વૃક્ષને સમુદાય જ્યાં હોય છે તેનું નામ વન છે અને વિજાતીય વૃાથી સંમિલિત સમુદાય જ્યાં હૈય છે તેનું નામ વનષડ છે, આ બધાં જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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