Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 527
________________ प्रकाशिका टीका - सप्तमवक्षस्कारः सू० ३१ चन्द्रस्याग्रमहिष्याः नामादिनिरूपणम् ५१५ सम्प्रति पञ्चदर्श द्वारं प्रश्नयन्नाह - 'चंद विमाणेणं' इत्यादि, चंदविमाणेणं भंते' चन्द्रविमाने खलु भदन्त ! 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पश्नत्ता' कियन्तं कालं कियत्कालपर्यन्तं स्थितिः ः प्रज्ञप्ता - कथिता इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहणेणं चउभागपलिओवमं' चन्द्रविमानस्य देवानां जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम्, स्थितिः पल्योपमस्य चतुर्थो भाग इत्यर्थः 'उकोसेणं पलियोवमं वाससय सहस्समब्भहियं' उत्कर्षेण एकं पल्योपमं वर्षशतसहस्राभ्यधिकं स्थितिरिति एकलक्षवर्षाधिकमेकं पल्योपममित्यर्थः । 'चंदविमाणेणं देवीणं जहणेणं चउब्भागपलिभोवमं' चन्द्रविमाने खलु देवीनां स्थिति: जघन्येन चतुर्भागपल्योपमस्यैकस्य चतुर्थो भाग इत्यर्थः, आलापप्रकारस्तु एवम्-हे भदन्त ! चन्द्रविमाने देवीनां कियत्कालं स्थितिरिति प्रश्नः भगवानाह - हे गौतम ! चन्द्रविमाने वसन्तीना देवीनां जघन्येन पल्योपमस्य चतुर्थो भागः स्थितिकाल इति एवं क्रमेणसर्वत्र प्रश्नवाक्यमुन्नम्योत्तरवाक्यं पूरणीयम्, 'उक्को सेणं अद्धपलिओवमं पण्णसए वाससहस्से हिं अमहियं उत्कर्षेणार्द्धपल्योपमं पञ्चाशता वर्षसह सैरभ्यधिकम्, चन्द्रविमाने हि चन्द्रदेवः मान में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहसमम्भहिये' हे गौतम ! चंद्र विमान में देवों की स्थिति जघन्य से एक पल्योपम के चतुर्थभाग प्रमाण है और उत्कृष्ट स्थिति एकलाख वर्ष अधिक एक पल्यो पम की है 'चंदविमाणेणं देवीणं जहणणेणं चउभागपलिओवमं' चंद विमान में देवियों की स्थिति जघन्य से एक पल्य के चतुर्थभाग प्रमाण है यहां पर प्रश्न रूप आलाप प्रकार ऐसा है - 'हे भदन्त ! चन्द्रविमान में रहने वाली देवियों की स्थिति कितने काल की है ? तब 'हे गौतम! चन्द्र विमान में रहने वाली देवियों की जघन्य स्थिति तो एक पल्योपम के चतुर्थ भाग प्रमाण है और 'उकोसेणं अद्धपलिओ मं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अमहियं' उत्कृष्ट स्थिति ५० हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है' ऐसा ही सर्वत्र प्रश्नवाक्य करके उत्तर वाक्य को ટવાની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહેવામાં આવી છે ? માના જવાખમાં પ્રભુ કહે છે'गोयमा ! जहणेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समच्भहियं' ३ ગૌતમ ! ચન્દ્રવિમાનમાં દેવાની સ્થિતિ જઘન્યથી એક પળ્યેાપમના ચતુર્થ ભાગ પ્રમાણ છે रहने उत्सृष्ट स्थिति मे साथ वर्ष अधिक उपयोपभनी छे. 'चदविमाणेणं देवीणं जहणेणं च उभागपलिओवमं' यन्द्रविभानभां हेवीयोनी स्थिति જઘન્યથી એક પલ્યના ચતુર્થાંભાગ પ્રમાણ છે. અહીંયા પ્રશ્નરૂપ આલાપ પ્રકાર એવા છે હે ભદન્ત ! ચન્દ્રવિમાનમાં રહેનારી દેવીઓની સ્થિતિ કેટલા કાળ સુધીની છે ? ત્યારે હે ગૌતમ ! ચન્દ્રવિમાનમાં રહેનારી દેવીઓની જઘન્ય સ્થિતી તે એક પલ્યાપમના ચતુર્થાંભાગ પ્રમાણ છે અને 'उक्कोसेणं अद्धपलि ओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं' उत्कृष्ट स्थिति पं० इन्भर જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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