Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रकाशिका टीका - सप्तमवक्षस्कारः सू० ३० ग्रहादीनां शीघ्रगत्यादिनिरूपणम्
डिया' कतरे सर्वमहर्द्धिकाः सर्वापेक्षया अधिकाधिकऋद्धिमन्तः के 'कयरे सव्वप्यडिया' कतरे च सर्वापर्द्धिकाः सर्वापेक्षया हीनऋद्धिमन्तश्च के इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा ' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! 'तारारूवेहिंतो णक्खत्ता महिड्डिया' तारारूपेभ्य स्तारारूपापेक्षया नक्षत्राणि महर्द्धिकानि 'णक्खतेहिंतो गहा महिड्डिया' नक्षत्रेभ्यो नक्षत्रापेक्षया ग्रहाःभौमादयो महर्द्धिकाः 'गर्हितो सूरिया महिड्डिया ' ग्रहेभ्यो ग्रहापेक्षया सूर्या महर्द्धिकाः 'सरेहिंतो चंदा महिडिया' सूर्येभ्यः सूर्यापेक्षया चन्द्राः महर्द्धिकाः अत एव 'सव्व पड्डिया तारारूवा' सर्वात्पर्द्धिका स्तारारूपा देवा भवन्ति ' सच्वमहिड्डिया चंदा' सर्वमहर्द्धिकाः सर्वापेक्षाधिकऋद्धिमन्त चन्द्रा भवन्ति, अयं भावः - गतिविचारणायां ये यदपेक्षया शीघ्रगतयः, पडिया' कौन सर्वमहर्द्धिक- - सब की अपेक्षा अधिक ऋद्धिवाला हैं ? और कौन सर्व की अपेक्षा अल्प ऋद्धि वाले हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा ! तारारूवेहिंतो णक्खत्ता महिड्डिया' हे गौतम! तारारूपों की अपेक्षा नक्षत्र महती ऋद्धिवाले हैं, 'नक्खत्तेहिंतो गहा महड्डिया' नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह - भौमादिक (मंगल) ग्रह - महती ऋद्धि वाले हैं। 'गहेहिंतो सूरिया महिड्डिया ' ग्रहों की अपेक्षा सूर्य महाऋद्धि वाले हैं, 'सुरेहितो चंदा महिडिया' औरसयों की अपेक्षा चन्द्र महाऋद्धिवाले हैं। इसतरह 'सव्वप्यड्डिया ताराख्वा सव्वमहिड्डिया चंदा' सब से कम ऋद्धिवाले तारारूप हैं और सब से अधिक ऋद्धि वाले चन्द्र हैं । तात्पर्य यही है कि गति विचारणा में जो जिन की अपेक्षा शीघ्र गति वाले कहे गये हैं वे उनकी अपेक्षा ऋद्धिविचारणा में उत्क्रम से महर्द्धिक कहे गये हैं ऐसा जानना चाहिये । एकादश द्वार समाप्त ॥
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द्वादश द्वार वक्तव्यता
'जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे ताराए य ताराए य' हे भदन्त ! जम्बूद्वीप नामके મહુદ્ધિ ક–બધાની અપેક્ષા અધિક ઋદ્ધિવાળ છે ? અને કાણ સવની અપેક્ષા અપઋદ્ધિવાળા छे ? माना उत्तरभां प्रभु उहे छे- 'गोयमा ! तारारूवेहिंतो णक्खत्ता महिदिया' हे गौतम! ताराइयोनी अपेक्षा नक्षत्र महती ऋद्धिवाणा छे, 'णक्खत्तेहिंतो गहा महडूढिया' नक्षत्रानी अपेक्षा ग्रह-लौभाधिछ (भगस) अह - महती ऋद्धिवाणा छे. 'गहेर्हितो सूरिया महिइढ़िया ' ग्रहोनी अपेक्षा सूर्य महाऋद्धिवाणा छे. 'सूरोहितो चंदा महिहूढिया' अने सूर्यानी अपेक्षा चन्द्र महाऋद्धिवाणा छे. भावीरीते 'सम्ब पडूढिया तारारूवा सव्वमहिडूढिया चंदा' सौथी એછી ઋદ્ધિવાળા તારારૂપ છે અને સહૂથી અધિક ઋદ્ધિવાળા ચન્દ્ર છે, તાત્પ એજ છે કે ગતિવિચારણામાં જે જેમની શીઘ્રગતિવાળા કહેવામાં આવ્યા છે તે તેની અપેક્ષા ઋદ્ધિવિચારણામાં ઉત્ક્રમથી મહક કહેવામાં આવ્યા છે એ પ્રમાણે જાણવુ જોઈએ.
એકાદશદ્વાર સમાપ્ત
દ્વાદશદ્વાર વક્તવ્યતા
'जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे ताराए य ताराए य' हे लहन्त ! भ्यूद्वीप नाभना द्वीयमां
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર